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#HappyMothersDay

उस रोज़ रात 8 बजे की बस से पापा लौटने वाले थे ।
माँ हम लोगों को खाना खिलाकर घड़ी की तरफ देखती रही ।
9 बज चुके थे और अब तक पापा नहीं आये थे ।

तब फ़ोन नहीं होता था बस पापा बता कर गये थे 10 को 8 बजे तक आ जाऊँगा ।
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छोटा भाई शनिवार को दूरदर्शन पर सिनेमा देख रहा था और मैं उस दिन माँ की बेचैनी को ।

अब 10 बज चुके थे छोटा भाई सो चुका था और मैं भी चादर ओढ़ लेट गया ।
माँ कमरे से निकल कर बार बार दरवाज़े तक जाती फिर वापस मंदिर वाले कमरे में आकर हाथ जोड़ खड़ी हो जाती ।
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मैं उठ कर बैठ गया और मुझे बैठा देख माँ दौड़ती हुई पास आई और उस बेचैनी में भी मुस्कुराकर कहा ……”क्या हुआ सोनू ?”

मुझे एक गिलास पानी पिला चादर से शरीर को ढक कर माँ वापस मंदिर वाले कमरे में जाकर बैठ गई ।
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जब तक मेरी नींद खुली रही माँ की बेचैनी देख मैं भी डर गया और सामने शंकर भगवान की तस्वीर के सामने आँखें मूँदकर कहा “भगवान जी पापा जल्दी आ जाये ”
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इतवार की सुबह थी तो माँ ने हमें जल्दी नहीं उठाया ।
मैं नींद से उठकर बाहर सड़क पे खेलने चला गया ।।

पापा अभी तक नहीं आये थे ।

माँ उस घबराहट में भी अपने सारे काम वक़्त पे कर रही थी ।
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मैंने दूर से पापा को आता देखा और माँ की तरफ दौड़ता हुआ गया और बोला
“मम्मी पापा आ रहे हैं ”

माँ के चेहरे पर वो सुकून मैंने पहली बार देखी थी ।
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पापा हमारे लिये आम लेकर आये थे और झोले को माँ को देते हुये उन्होंने कहा
“रास्ते में बस ख़राब हो गई और G.T.Road भी जाम था तो आते आते इतनी देर हो गई ”
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माँ पानी का ग्लास आगे बढ़ाती हुई बोली
“हाँ मुझे भी यही लगा था बस ख़राब हो गई होगी ”

मैंने उस रात से दिन तक में ही माँ का
“डर” “धैर्य ” “हिम्मत” “उत्साह” “बेचैनी” “प्यार” सब महसूस कर लिया था और समझ गया कि इन सब को मिला कर ही “माँ” शब्द बनता है ।

#Maa #माँ #Abvishu
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