मन नही लिखने का लेकिन लिख रहा हूँ अगर ठीक लगे तो आप समझ सकेंगे हमने क्यो किआ ऐसा
1)लोगो मे नाराजगी है कि दो हैंडल क्यो है दोनों अलग अलग क्यो ट्रेंड चला रहे
जवाब- हम भी कभी वी बैंकर्स हुआ करते थे यहां तक कि सिंतबर 2014 में स्वयं कुछ साथियो साथ इसे बनाया था लेकिन समय के साथ सब बदल
गया, पहले भी मकसद यही था कि सिस्टम में रह कर सिस्टम बदलेंगे आज भी वही मकसद है आइडियोलॉजी एकदम अलग है दोनों संघटनों की। जहां वी बैंकर्स एसोसिएशन 1 राज्य में यूनियन बन कर कार्य कर रहा वही हम देश भर के बैंकर्स को एकसाथ लाने का काम एक संस्था द्वारा करना चाह रहे है जिसमे किसी भी कैडर
किसी भी यूनियन के लोग एक साथ आकर अपनी आवाज बुलंद कर सके बिल्कुल वैसे ही जैसे मार्च 2018 से पहले करते थे और हां हम यूनियन बनाने के एकदम खिलाफ है

2)आपने वी बैंकर्स क्यो छोड़ी ग्रुप का नाम क्यो बदला क्या आपने कब्जा किया है?
◆ कुछ बातों को बाते ही रहने दीजिए , फ़ेसबुक का ग्रुप मेरी
व्यतिगत आईडी से बना था इसपर ऐसे कोई दावा नही ठोक सकता , इसके अतिरिक्त मुझे लगातार अपमानित किया जाता रहा कानूनी नोटिस भेजी जाती रही ग्रुप का नाम चेंज करने की सो उसी के जवाब में नाम भी चेंज के दिया गया। आखिर में स्वाभिमान से बढ़ के कुछ नही होता, जहां इज्जत मिलेगी वही काम करेंगे
3)आप लोग आपसी मतभेद क्यो नही भुला लेते?
◆ अब आपसी मतभेदों को भुलाने में पूरे ढाई साल बेकार हो चुके है और इस बीच ये बीपीएस भी हाथ से लगभग निकल चुका है और हम अब वी बैंकर्स के साथियो के भरोसे नही बैठ सकते हमे अपना काम करना है हम अपना काम करेंगे
4) पीछे के लगातर पांच ट्रेंड के हैशटेग किसने डिसाइड किये थे)
◆ये एक दो का नही सामूहिक रूप से प्रयासों का फल है जिसे रात को 2 3 बजे तक आपसी बात चीत के बाद निर्णय लिया जाता है , बाकी हम लोग सिर्फ डिसाइड करते है इसको ट्रेंड आम बैंकर ही करवाते है ये जीत आम बैंकर्स की है BU की नही
5) आगे आईबीए और सरकार से बात बिना यूनियन के कैसे करेगे
◆ यूनियनों में युवाओं की भागीदारी बढ़ा कर

बाकी इसके अतिरिक्त यही कहेंगे नोटिस के जवाब की वजह से हैंडल का नाम webankersofficial से BankersUnitedOfficial किया गया है और इसे हम पंजीकृत करवाने के लिए प्रयासरत है
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