चलिए आज वर्ण व्यवस्था को समझा दें :
वर्ण व्यवस्था भगवान कृष्ण अनुसार उनके द्वारा रची गई थी। (गीता संवाद)
वर्ण कर्म पर आधारित है ना की जनम पर (गीता)

- जो व्यक्ति शारीरिक रूप से सबल होता था और शारीरिक श्रम दान करके अपना रोजगार पाना चाहता था उसे & #39;शूद्र& #39; वर्ण व्यवस्था दी गई।
- जो व्यक्ति शारीरिक रूप से मजबूत है और श्रमदान
एक सैनिक के रूप में देना चाहता है सेना में जाकर उसे & #39;क्षत्रिय& #39; वर्ण व्यवस्था दी गई

- जो व्यक्ति शारीरिक रूप से मध्य में कद काठी से मध्यम है किंतु पुस्तक पोथी पढ़ कर अपना जीवन यापन करना चाहता है उसे & #39;वैश्य& #39; वर्ण व्यवस्था दी गई
सबसे अंत में जो व्यक्ति शारीरिक रूप से सबसे दुर्बल होता था और अपना जीवन यापन रोजगार शूद्र क्षत्रिय वैश्य के रूप में नहीं कर पाता था उसे पूजा पाठ के लिए ही उपयुक्त माना जाता था और उसे & #39;ब्राह्मण& #39; वर्ण व्यवस्था दी गई

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है ..।
सभी वर्ण बराबर थे और सभी को समान सम्मान हासिल था।

कर्मों पर आधारित है वर्ण व्यवस्था जन्म से नहीं कृपया इस बात को गांठ बांध ले
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