कुछ सवाल है मेरे सरकार से..

हर व्यक्ति का छोटा मोटा बिज़नेस, जॉब या काम उसके लिए उसकी रोज़ी रोटी है, तो आप यह मापदंड कैसे लगा सकता हैं कि इस मोड़ पर कि आधा देश चलने लगे और आधा देश लॉक डाउन का पालन करे? जब ३ मई तक लॉक डाउन का सख्ती से पालन नहीं करना था तो अभी तक खींचा क्यों? (१)
आज गुजरात में लगभग हर कंपनी से परमिशन लेकर वर्कर को काम पर बुलाना शुरू कर दिया है.. किराने, मेडिकल, सब्ज़ी, दूध की दुकानें तो चालू ही है! आज बाकी दुकानों को भी आपने छूट दे दी है, वहीं कुछ छोटे उद्योगों को अभी भी आप परमिशन नहीं दे रहे हैं तो क्या उनका घर हवा पानी से चलेगा? (२)
ऐसे उद्योगों में भी ४०-५० लोग काम करते हैं, एक महीने तक ठीक है सैलरी देना, आगे की सैलरी कहां से दे? क्या आप उन लोगों तक राशन पानी पहुंचा सकते हो? नहीं, तो फिर आप किस बुनियाद पर ये पक्षपात कर रहे हो?

मध्यम वर्ग का क्या? जो न गरीब है जो न अपना काम आगे बढ़ा पा रहे है? (३)
हम क्या बेवकूफ है जो ३५ दिनों से घर में बैठें रहे, अपनी सैलरी का हिस्सा भी फंड में कटवाया, हर तरीक़े से सरकार को साथ दिया, हर कायदे का पालन किया अरे यहां तक कि न जाने आसपास कितने लोगों को अपनी जेब से पैसा निकालकर मदद की है! और आज क्या परिणाम निकल कर आया? (४)
मिडल क्लास साला आखी ज़िन्दगी टैक्स भरकर इन लोगों के घर पाले, पीएम फंड में डाला गया पैसा भी इन जमाटियों के इलाज़ में बर्बाद किया, ऐसे संकट में कामवाली, माली, सफाई कर्मी सबको एडवांस सैलरी दी, हर तरह से सहयोग दिखाया ताकि सबकी जान भी बच जाए और घर भी चल जाए! (५)
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