पहाड़ में कैसिनो / शराब फैक्ट्री / रिसोर्ट के खिलाफ होने के कई कारण हैं ।

कैसिनो , फैक्ट्री , रिसोर्ट इत्यादि का सीधा मतलब है कि एक बड़े इन्वेस्टर द्वारा बड़ी इन्वेस्टमेंट , और उस इन्वेस्टमेंट की उगाही , इन्वेस्टर साम, दाम, दंड, भेद करके निकालते हैं

(कंटीन्यू ........)
सरकार लाइसेंस किसी एक चीज के लिए देती है लेकिन उस लाइसेंस की आड़ में बहुत सारी बीमारियां मुफ्त में आती हैं और माफियाओं/ इन्वेस्टर / व्यापारियों द्वारा वो 💸💸 मैनेज की जाती है ।

शासन / प्रशासन को मैनेज करना बहुत आसान हो जाता है जब एक बार कोई काम शुरू हो जाये तो

(Cont........)
देहरादून ही ले लीजिए , क्या नही होता देहरादून में ? और शासन / प्रशासन के नाक के नीचे होता है , क्या गांधी पार्क में वैश्याएं खुले आम नही घूमती ?हम देश के TOP 10 टूरिस्ट प्लेसेस में भी नही उसके बावजूद देहरादून में होटल की संख्या अचंभित करती है , आखिर पैसे कैसे कमाते हैं
(Cont...)
क्या होटल के धंधे के पीछे कुछ ऐसे भी काम होते हैं ? जो जानते तो सब हैं लेकिन इसलिए चुप हैं क्योंकि इनके खिलाफ बोलने पर मौत का डर तक हो सकता है ! क्या यह सच नही है कि देहरादून लगातार नशे की चपेट में आ रहा है
नाबालिग/ बालिग / कॉलेज के छात्र भी इसकी चपेट में हैं ।

(Cont........)
पहाड़ में कैसिनो / रिसोर्ट खोलना बिल्कुल भी सही फैसला नही है ।
मैं चाहूं तो एक छोटा सा कारण देकर सारी ही बहस खत्म कर सकता हूँ कि देवो के स्थान पर यह काम शोभा नही देते लेकिन मैं यह नही करूँगा । मैं आपको पूरे कारण बताता हूँ कि क्यों नही खुलने चाहिए ।

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कैसिनो / रिसोर्ट खुलने के साथ ही यहां लोगों का जमावड़ा लगना शुरू होगा ,स्वाभाविक है अमीर लोगों का आना जाना शुरू होगा , कैसिनो / रिसोर्ट खुलेंगे तो वैश्याएं स्वतः ही आएंगी , अब यह सब एक बंद कमरे के अंदर हो तो चलता है , शरीफ (अमीर) लोग बन्द कमरे में ही करेंगे 😀

(Cont........)
लेकिन परेशानी शुरू होती है तब जब यूथ आता है , जो passionate love के नाम पर चरमोत्कर्ष तक पहुंचने के लिए कभी जंगलों तो कभी झाड़ियों में मिलेगा ।
अब एक बात ध्यान देने वाली ये है कि हम पहाड़ी जो अपने हमउम्र भाई के साथ TV देखते हुए कोई बिकनी वाला सीन देखने मे पानी हो जाते है
(Cont.)
अपनी अगले - बगले झांकने लग जाते हैं क्या वो पहाड़ी इस माहौल में खुद को एडजस्ट कर पाएंगे ? मानता हूं कि आउट ऑफ द बॉक्स सोचना है पर इतना आउट ऑफ बॉक्स ?

कैसिनो / रिसोर्ट जहां जहां गए वहां की सभ्यता नष्ट ही समझो , तो क्या हमारी सभ्यता को हम नष्ट होना देना चाहेंगे ?

(Cont.......)
क्या लगता है इस कदम से पहाड़ियों की तरक्की होगी ? या फिर उन्हें उनकी जमीन पर नौकर बनाकर रख दिया जाएगा।

आउट ऑफ द बॉक्स ही सोचना है तो कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने के बारे में सोचा जा सकता है , 1000 लोग भी काम शुरू करते है और 500 भी सफल हो जाते हैं तो यह मील का पत्थर होगा
(Co..)
किसी एक बड़े इन्वेस्टमेंट के चक्कर मे वैसे भी रिस्क बड़ा है , माल्या , मेहुल , नीरव जैसे उदाहरण सामने हैं , अब आप इसे संकीर्ण मानसिकता ही कहिए लेकिन पहाड़ों में बिकनी में शूट आउट हमे नही देखना ।

हमने महिला को जिस स्वरूप में देखा है हम उसी में खुश रहना चाहेंगे ।

धन्यवाद 🙏
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