From Soumitra Roy’s FB wall:

कारगिल युद्ध के समय ताबूत घोटाला याद है? उस समय अटलजी की सरकार थी।

कोरोना के खिलाफ युद्ध के वक़्त एक और बड़ा घोटाला होने जा रहा है। वैसे भी सूखा, बाढ़ और तूफान जैसी आपदाओं में सरकारें जनता के पैसे को लूटकर खूब कमाती हैं।
ICMR ने कल चीन से मंगाए रैपिड टेस्ट किट का उपयोग न करने की एडवाइजरी जारी की थी। इन किट्स में कोरोना जांच के नतीजे गड़बड़ मिल रहे थे।

अब ICMR खुद मान रहा है कि उसने बिना टेंडर के चीनी अफसरों की बात मानकर किट्स सीधे आर्डर कर दिए थे।
आज हरियाणा की बीजेपी सरकार ने चीन से 1 लाख रैपिड किट का आर्डर इसलिए रद्द कर दिया, क्योंकि इनकी कीमत 780 रुपये नग पड़ रही थी।

हरियाणा सरकार का कहना है कि दक्षिण कोरिया की भारतीय फर्म एसडी बायोसेंसर यही किट 380 रुपये में बेच रही है।

अब यहां से कहानी ट्विस्ट लेती है।
छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने इसी कंपनी से ₹337 में किट खरीदे हैं।

लेकिन ICMR को चीन की नकली किट ₹795 में पड़ी।

कर्नाटक की बीजेपी सरकार को भी चीनी किट इतने में ही मिली, लेकिन आंध्र सरकार को ₹640 में पड़ी।
अब कुछ सवाल-
1. चीनी कंपनी की किट के अलग-अलग दाम क्यों हैं?
2. जब भारत में एक राज्य ₹337 में किट खरीद रहा है तो दोगुने से ज़्यादा खर्च की क्या ज़रूरत है?
3. ICMR ने टेंडर क्यों नहीं किया?
4. बाकी राज्यों के टेंडर में क्या विशिष्टताएं हैं?
5. बोली लगाने वाली कंपनियां कौन हैं? क्या रेट हैं?
6. दलाल कौन है? दलाली का रेट क्या है?
7. टेस्ट किट की क्वालिटी कौन जांच रहा है? बिना क्वालिटी जांचे राज्यों को किट कैसे मिल रही है?
8. पूरे मामले में ICMR और स्वास्थ्य मंत्री की क्या भूमिका और जिम्मेदारियां हैं?
9. केंद्र सरकार की इस मामले में क्या गाइड लाइन है? नहीं है तो क्यों?

दुखद यह है कि भांड मीडिया ऐसे सवाल पूछने की नैतिकता खो चुकी है।
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