भक्त इतने जाहिल हैं कि उन्हें हिंदू धर्म का रत्तीभर भी नॉलेज नहीं है

दिनभर सोशल मीडिया पर आईपी सिंह गाली खाते रहे, साथ में उनकी माता भी। बिना ग़लती के, उन्होंने योगी आदित्यनाथ के पिता की मृत्यु पर ट्वीट करते हुए, उन्हें जैविक पिता लिख दिया था।

(थ्रेड) @IPSinghSp
सेक्स को लेकर कुंठा से भरे मगजहीन लड्डुओं ने इसे योगी आदित्यनाथ के पिता का अपमान समझा और पिल पड़े। जैविक से बीज खोज लाए। बिना ये समझे कि उन्होंने जैविक पिता शब्द क्यों लिखा है।
योगी आदित्यनाथ महंत है, घर त्यागे हुए, पिछले परिवार से, मां-बाप से उनका कोई लेना-देना नहीं है, इसलिए आज भी घरवालों को चिट्ठी लिखते हुए उन्होंने पिता के लिए 'पूर्वाश्रम के जन्मदाता' शब्द इस्तेमाल किया।
योगी आदित्यनाथ का पिछला चुनावी हलफनामा उठाकर देखिए, विधान परिषद के एफिडेविट में पिता के नाम पर गुरु 'स्वर्गीय अवैद्यनाथ' का नाम मिलेगा, क्योंकि वो गुरु थे। उन्होंने ही संन्यास दिलाया था, उत्तराधिकारी बनाया था, संन्यासियों में ऐसा ही होता है, गुरु को पिता के नाम पर रखते हैं।
धार्मिक लोगों या बहुतेरे घर छोड़े स्प्रिचुअल लोगों की बातों में बहुत कॉमन है कि मां-बाप को वो 'जैविक अभिभावक', 'भौतिक अभिभावक' 'लौकिक रिश्ते से माता-पिता' या 'सांसारिक माता-पिता' कहते हैं।
आईपी सिंह जो कर रहे थे, वो अपमान नहीं था। वो उस आइडिया को सम्मान दे रहे थे। योगी आदित्यनाथ के संन्यासी होने के साथ उनके पिता के निधन पर शोक व्यक्त कर रहे थे, प्रॉपर तरीके से। ऐसा कहना बहुत आम है और उस आइडिया में बिलीव करने वालों के लिए सही तरीका भी है।
ये मूर्खों की मूर्खता है कि वो एक सही चीज पर पिल पड़े, इन लीचड़ों के दिमाग में कूड़ा इस कदर भर गया है कि सोना भी परोस दो तो गंदगी ही समझेंगे, एक आदमी को सबसे सही तरीक़े से सबसे सही बात कहने के लिए सबसे बुरी बातें कहेंगे।
ये उस आदमी की ग़लती नहीं है कि उसने कुछ ग़लत लिखा, तुम गधे हो जो तुमने कभी कुछ सही पढ़ा नहीं।

TL; DR : इंदौर में मौत को शांत होना कहते हैं, कोई जानकारी दे कि कोई शांत हो गया है और आप कहें कि पहले वो अशांत थे क्या, तो मूर्ख आप हैं।
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