#Lockdownextention
#lockdown ने इकोनॉमी की वाट लगा दी,लोगों के काम धंधे की वाट लगा दी,मजदूरों मेहनतकशों के तो पेट पे लात मार दी।लेकिन समाज का जो वर्ग इससे सबसे ज्यादा प्रभावित और दयनीय दशा में है उसका संज्ञान ना मीडिया ने लिया ना सरकार ने।इस वर्ग के कई लोग तो अब इतने...+
..... हताश और निराश हैं कि वो जीवन को त्यागने पे विवश हो चले हैं।और इनकी ये हालत सरकार के एक गलत निर्णय की उपज है।
अब आप बेहद उत्सुकता से सोच रहे होंगे कि ये कौन सा वर्ग है।समाज के इस बेहद अहंग वर्ग का नाम है 'बेवड़ा वर्ग'।
इस वर्ग की व्यथा जब कल मैंने इसके एक सदस्य से....+
....सुनी तो मुझे मोदी जी पर बेहद क्रोध आया।मोदी भक्त मुझे जरूर गालियाँ देंगे लेकिन अगर भक्त भी उसकी व्यथा सुनेंगें तो वो भी मोदी पर क्रोध करेंगे।
बेवड़े की व्यथा:-
जनता कर्फ्यू के तुरंत बाद lockdown का मोदी जी का निर्णय गलत था।lockdown लागू करने से पहले कम से कम हमलोगों....+
..... को 24 घंटे तो देना चाहिए था?चलो नहीं दिया कोई बात नहीं।जब चावल,आटा,दूध essential में रक्खा गया तो दारू जैसी महत्वपूर्ण चीज को क्यों इससे बाहर कर दिया गया?
Lockdown के एक हफ्ते तक तो इधर उधर से चल गया लेकिन उसके बाद 500 का 750 में चालू हो गया।अगले हफ्ते तो रेट 500 का....+
....1500 हो गया।काम धंधा तो मोदी जी ने बंद ही करा दिया अब कैसे इस रेट पे इस जीवनदायिनी को खरीदें।
बेचारे की आँख नम हो आई।😪
मैं भी द्रवित था।मैंने पूछा अब तो ये locdown और 21 दिन बढ़ने वाला है अब क्या करोगे?
बड़ी लाचारी से बेचारा बोला:- भइय्या अब जीवन में कुछ बचा....+
.... नहीं। देसी पौव्वा 150 में मिल तो रहा है लेकिन एक तो छुपछुपा के पीना पड़ेगा दूसरा उसका स्वाद बहुत कड़ुआ है।😪
इस वर्ग के इस उदगार से मैं बहुत व्यथित हो गया।फिर लग गया इस वर्ग के उत्थान के बारे में सोचने।सोचा, काफी वक्त लगाया समस्या के समाधान के लिए।समाधान निकाला मैंने।
.....+
....मैंने देसी को बिना कुछ खास खर्च के विदेशी बनाने की विधा विकसित कर ली है।कल इस वर्ग के लिए, इस वर्ग के उत्थान के लिए, इस वर्ग को lockdown से लड़ने के लिए मैं इस विधा को सार्वजनिक करूँगा।🙏
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