सिर्फ @imjadeja की तलवार का वीडियो देख कर तू इतना विचलित हो गया सोच तेरे जैसों का सच के युद्ध में क्या हाल होता होगा। शब्दों की मर्यादा लांघने के लिए अपने लोगों से माफी चाहूँगा पर मंडल जैसे लोग ना दलित हैं और ना हिंदू। तेरे बाप ने जो तुझे इतिहास पढ़ाया है आ उसे दुरुस्त कर दूँ। https://twitter.com/profdilipmandal/status/1249360377772756994
राणा सांगा ने खंडार, अहमदनगर, बाड़ी, गागरोन, बयाना, ईडर, खातौली समेत 100 से ज़्यादा युद्ध लड़े और जीते। खातौली के युद्द में उन्होंने एक हाथ गंवाकर इब्राहिम लोदी को दिल्ली भगा दिया, पर इतिहास ने लिखा तो सिर्फ ‘खानवा’ के युद्ध के बारे में जो राणा सांगा हारे थे। क्यूँ? इसका कारण?
तराईन के पहले युद्ध में पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गौरी को हराया, उसके पहले ना जाने कितने युद्ध लड़े और अपना वर्चस्व बनाया। पर कुछ कायर और मानसिक रूप से ग़ुलाम प्रवृत्ति के लोग सिर्फ तराइन के दूसरे युद्द की बात करते हैं, क्यूँ? और उन्होंने कितने युद्ध लड़े इसका भी ज्ञान दे देते?
इतिहास ने लिखा कि राणा प्रताप हल्दीघाटी का युद्ध हारे, पर राणा प्रताप युद्द के बाद ज़मीन के पट्टे कैसे बाँट रहे थे? हारा हुआ राजा ज़मीन बाँट सकता है? गोगुन्दा, चावण्ड, मोही,मदारिया, कुम्भलगढ़, ईडर, मांडल, दिवेर जैसे कुल 21 बड़े युद्ध जो राणा प्रताप ने जीते उसका ज़िक्र क्यूँ नहीं?
मेवाड़ के 50 दुर्ग में से लगभग सभी पर एक समय मुग़लों का अधिकार हो चुका था, सारे दुर्गों का नाम बदल कर मुस्लिम नामों पर रख दिया गया था। फिर ऐसा क्या हूँ कि राणाप्रताप द्वारा लड़ कर जीते गए युद्धों के बाद कहानी बदल गयी? उदयपुर, जयपुर, कितने शहरों का नाम मुस्लिम नामों पर है आज?
महाराणा अमरसिंह ने मुगल बादशाह जहांगीर से 17 बड़े युद्ध लड़े व 100 से अधिक मुगल चौकियां ध्वस्त कीं, लेकिन मुग़लिया इतिहास के दलाल हमें सिर्फ ये बताते हैं कि 1615 ई. में महाराणा अमरसिंह ने मुगलों से संधि की। ये कोई नहीं बताएगा कि 1597 ई. से 1615 ई. के बीच क्या क्या हुआ?
महाराणा कुम्भा ने आबू, मांडलगढ़, खटकड़, जहांजपुर, गागरोन, मांडू, नराणा, मलारणा, अजमेर, मोडालगढ़, खाटू, जांगल प्रदेश, कांसली, नारदीयनगर, रणथम्भौर, डूंगरपुर, बूंदी, नागौर, हाड़ौती समेत 100 से अधिक युद्ध लड़े व अपने पूरे जीवनकाल में किसी भी युद्ध में पराजय का मुंह नहीं देखा, इतिहास?
आज दिलीप मंडल जैसे मुग़लों के दलाल जिनके पूरे ख़ानदान में किसी ने देश के लिए अपनी रक्त का एक कतरा तक नहीं बहाया हमे इतिहास समझा रहे हैं। अगर केंद्र की सरकारें मुग़लों के इतिहास को फाड़ कर अपना स्वर्णिम इतिहास नहीं लिखेंगी तो ये मंडल जैसे कीड़े ऐसे ही मुग़लों की दलाली करते रहेंगे।
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