मुंबई स्थित एक चैनल समूह के 6 लोगों में कोरोना वायरस की पुष्टि हो गई है. ऐसे में दो सवाल..
1. खबर दिखाना आवश्यक सेवा है पर टीआरपी लाना नहीं। कोरोना संकट के दौर में BARC हर हफ्ते रेटिंग क्यों जारी कर रही है? इससे न्यूज़ चैनलों में टीआरपी रेस जारी है।
1. खबर दिखाना आवश्यक सेवा है पर टीआरपी लाना नहीं। कोरोना संकट के दौर में BARC हर हफ्ते रेटिंग क्यों जारी कर रही है? इससे न्यूज़ चैनलों में टीआरपी रेस जारी है।
संकट काल में भी हर हफ्ते जारी TRP लिस्ट से खबर का ट्रीटमेंट प्रभावित हो रहा है (मजबूरन सनसनी फैलाना पड़ रहा)। चैनलों में काम करने वालों पर दबाव बना हुआ है। वर्क फ्रॉम होम तो दूर कुछ चैनलों में काम करने वालों को वीकली ऑफ भी नहीं मिल पा रहा।
2. क्या चैनलों में काम करने वाले इंसान नहीं हैं? क्या वो लोहे के बने हैं(एक चैनल में काम करने वाले व्यक्ति के शब्दों में)। क्या उन्हें कोरोना नहीं हो सकता?
दुनिया को सोशल डिस्टेंसिंग का ज्ञान देने वाले चैनलों के न्यूजरूम में लोग पास पास बैठ कर ही काम कर रहे हैं।
दुनिया को सोशल डिस्टेंसिंग का ज्ञान देने वाले चैनलों के न्यूजरूम में लोग पास पास बैठ कर ही काम कर रहे हैं।
जब तक कोरोना संकट खत्म नहीं होता खबर की दुश्मन, सनसनी की जड़ TRP रेटिंग स्थगित रहे। इससे खबर व खबरनवीस दोनों का भला होगा।न्यूज रूम में एक समय उतने ही लोग उपस्थित रहें जितने लोग खबर दिखाने के लिए ज़रूरी हैं। वर्क फ्रॉम होम की सुविधा उन सबको मिले जिनके लिए घर से काम करना सम्भव है।
खबरों की दुनिया में बहुत से अनसंग हीरो होते हैं. न्यूज रूम के लोग ऐसे ही हीरो हैं जो इतने प्रोफेशनल है कि सर्जन की तरह व्यक्तिगत भावनाओं से प्रभावित हुए बिना काम करते हैं,इतने टैलेंटेड हैं कि उनके आइडिया पर बने प्रोग्राम की टीपी मेकअप पोत कर पढ़ बहुत से सेलेब्रिटी बने घूम रहे हैं
ये लोग इतने शरीफ हैं कि चैनलों का मजाक उड़ाने पर हंस भी लेते हैं ये कहते हुए कि पापी पेट का सवाल है. ये अपना सवाल नहीं उठाएंगे सो आज मैंने उठा दिया. इनकी सुरक्षा के बारे में भी सोचो सरकार. इनका भी परिवार है जो इनके लिए चिंतित होता है जब ये काम करने जाते हैं.