दूल्हे की पगडी़ नहीं मिल रही थी तो उसने एक बाराती की मांग कर बांध ली। नाचते बारातियों में ये सज्जन पहुंचे और चहक कर बोले दूल्हे ने जो पगडी़ बांधी है वो मेरी है। दूल्हे ने सुना, उसे बुरा लगा। उसने जनाब को बुला कर कहा क्या जरूरत है सबको बताने की कि ये पगडी़ आपकी है।
सज्जन नाचते हुए फिर उत्साह में आ गये। निकट के बाराती से बोलने लगे "दूल्हे ने जो पगडी़ बांधी है.." तभी दूल्हे ने घूरा और वो सकपका कर जोड़ गए "वह मेरी तो नहीं है"। दूल्हे ने फिर उन्हें पास बुलाया और भड़क कर कहा "क्या ज़रूरत है किसी को भी बताने की कि ये पगडी़ किस की है"।
स्थिति नाजुक थी पर सज्जन भी आदत से मजबूर। नहीं रुका गया और फिर किसी और से बोलने लगे "दूल्हे ने जो पगडी़ बांधी है..." कहते कहते नजर दूल्हे के तमतमाते चहरे पर गई और अचकचा कर बोले "पता नहीं साला किस की है"। सो भईया सिंगल सोर्स बोलो या स्पेशल आपरेशन पता सब को चल रहा है कि जमाती हैं।
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