#कोरोना_का_रोना - दृश्य २
हसीनापुर में महामारी

संसार में फैली हुई महामारी जम्बूद्वीप और हसीनापुर में पहुँच गई।महाराज रीजक ने घोषणा पर घोषणा करनी आरम्भ कर दी।दिन में चार बार टीवी पर आते और कुछ घोषणा कर जाते।उनके पीछे अंधों की जमात पहले से थी और इस प्रकार दिन में चार बार टीवी पर..
और चारों तरफ चलते विज्ञापनों से उनके लोगों को विश्वास हो गया कि काम तो केवल रीजक ही कर रहे हैं और बाकी जम्बूद्वीप में तो अन्धकार है। रीजक ने ऐसी ऐसी घोषणाएं कर दी जो असंभव सी थीं। किन्तु करनी थीं सो कर दी थीं। फिर एक रात्रि के द्वितीय प्रहर में एक गुप्त मंत्रणा हुई।
रीजक - हे विशालकाय कुटिल बुद्धि हसिंयजसं हमने सारा पैसा तो विज्ञापनों में उडा दिया, अब जो हमने लोगों को धन और अन्य अनुदान देने का वचन दिया था वो वैसे पूरा करेंगे?
लपागो - पहले तो गरीब लोग बहुत हैं। मजदूर भी हैं।उनका क्या करें? इतने लोग नहीं संभल सकते।
हसिंयजसं- उनको सीमा तक छोड़ देते हैं, अपने आप उनके राज्यों की सरकारें देखेंगी।आधे से ज्यादा गरीब लोग वैसे भी भाग जाएँगे। फिर भूखे लोगों की संख्या कम हो जाएगी। हमारा बोझ कम हो जायेगा।

रीजक - यही ठीक है मुनादी पिटवा दो जिसको घर जाना है वो निकल जाए।
कह दो उनके राज्यों की सरकारें वाहन उपलब्ध करवा रही हैं।
पेंचकसधारी - किन्तु वाहन तो प्रतिबंधित हैं।
रीजक - तीन सौ वाहनों की व्यवस्था करो, लोगों को सीमा तक छोड़ दो।
पेंचकसधारी - उसके आगे?
हसिंयजसं - उसके आगे वो जानें, और उनकी सरकारें जाने।
पेंचकसधारी - किन्तु हे सांडस्वरुप इससे तो बीमारी गाँवों तक पहुँच जायेगी!
हसिंयजसं - जाने दो। हमारे ऊपर तो बोझ कम होगा।
रीजक - चलो लोग तो कम हो जायेंगे। लेकिन फिर भी
जो रह जायेंगे वो भी बहुत हैं।उनके भोजन का क्या करेंगे?
हसिंयजसं- हे शिरोमणि!हम पहले दिन ठीक ठाक, और दूसरे दिन से घटिया और तीसरे दिन से ऐसा खाना देंगे कि कोई मांगने भी नहीं आएगा। बाकी आरएसएस वाले और अन्य संस्थाएं तो खाना खिला ही रहे हैं। किसी की रसोई को अपना बता कर फोटो डलवा देंगे। कह देंगे कि हम दस लाख लोगों को खाना खिला रहे हैं।
रीजक - उत्तम, उसके बाद भी कोई बच गया तो उसका क्या जुगाड़ है?
पेंचकसधारी- वो काम तो बग्गा कर रहा है।
रीजक - ये बग्गा तो हमारा विरोधी है, अनपढ़ है, और कहीं किसी पद पर भी नहीं है। फिर कैसे करेगा?
हसिंयजसं -हमको भरोसा है कर लेगा। जब करेगा तो श्रेय हम ले लेंगे।
रीजक - धन की भी तो कमी है, वो देने का जो वचन दिया है उसका क्या करें?
षनीम - चिंता मत कीजिये हसीनापुर शिरोमणि, जब जम्बूद्वीप से प्रधानमंत्री पैसा जनधन खाते में भेजेंगे तो उसे अपना बता देंगे। हम किसी से ट्वीट करवाएंगे उसपर आप अपनी लार लपेट देना। बाकी धूरा संभाल लेगा।
रीजक - और स्वास्थ्य विभाग की क्या तैयारी है रदनतिस?
रदनतिस - योजना तैयार है मालिक।
रीजक - क्या योजना है?
रदनतिस- आप अभी रोज टीवी पर कहेंगे हम सब सुविधा दे रहे हैं, पूरी तैयारी है। हमारे पास सब है।
रीजक-फिर?
रदनतिस-फिर क्या, जब दो वह दिन निकल जाएँ तो पसर जाना जम्बूद्वीप के सामने
और कहना पैसा नहीं है, मजबूरी में देना पड़ेगा।

रीजक - और पैसे न दे तो?
हसिंयजसं - तो टीवी पर जाकर छाती पीटना। रोने लगना।
रीजक - और अगर कोई विपक्षी पैसा दे दे तो?
रदनतिस - तो कह देना, पैसा हमारे पास पहले से है हमें सामान चाहिए।
रीजक - और कोई सामान देने को तैयार हो तो?
हसिंयजसं - तो कहना हमें पैसा चाहिए, सामान तो हमारे पास है।
कुल मिला कर साफ़ मत करना कि तुम्हारे पास क्या है और क्या चाहिए। याद रखना आपसे अच्छा काम न कोई करता है न कर सकता है।
रीजक - ये जम्बूद्वीप सम्राट कुछ न कुछ नया निकालते हैं पाँच आग्रह निकल दिए बताओ।
मुझे भी कुछ निकालना है। मैं पाँच टी दूंगा ।मेरी पट्टी पढ़ो -

ट्वीट करना है
ट्रेंड चलाना है
टेलीविज़न पर आना है
टरकाने की कोशिश करना
तबलीगी पर चुप

सभा - वाह वाह वाह! क्या पट्टी पढाई है। जय हो मालिक की।
रीजक - अगर मीडिया कुछ बोले तो?

षनीम- चिंता मत करो मालिक, सबके यहाँ छठा टी अर्थात टोकन मनी पहुँच गई है। चैनल विशेष, के पत्रकार विशेष के कार्यक्रम विशेष में तो केवल आपके नाम की कव्वाली गाई जाएगी। कोई कुछ भी करता रहे दिखाया यही जाएगा कि अगर किसी ने कुछ किया है तो आपने किया है।
रीजक - मेरा फुटेज कम नहीं होना चाहिए। मीडिया को बाईट के साथ बोटी भी देते रहना है।

तभी एक दूत सन्देश लेकर आता है - हे धरनाराज, जम्बूद्वीप के सम्राट ने आपको मंत्रणा के लिए बुलाया है।

रीजक - देखा पढ़े लिखे होने का परिणाम । महाराज से काम संभल नहीं रहा होगा इसीलिए मुझे बुलाया है।
दूत - नहीं मालिक, सभी प्रांतों के मुखिया को बुलाया है।

वघरा - ये मुखिया कितना गँवार सा लगता है। जैसे मालिक मालिक न हों किसी गाँव के सरपंच हों।

षनीम - लेकिन हमारे मालिक हैं तो पढ़े लिखे ही। जाइए मालिक होकर आइये।
रीजक मंत्रणा में जाते हैं।जहाँ सम्राट सभी प्रांतों के प्रतिनिधियों से बात करते हैं और कहते हैं सब योजना बनाओ ।हम देखते हैं आगे क्या करना है।किसी से कहना मत जब तक योजना न बन जाए।
जहाँ रीजक ने सुना कि किसी से नहीं कहना है उसके पेट में गुड़ गुड़ शुरू हो गई और पेट फूलना शुरू हो गया।
वो बाहर आया, लेकिन उनका पेट फूल गया। उन्होंने सभा बुलाई और बोले मेरा पेट फूलता है। क्या करूं?
हसिंयजसं ने कहा आपको बात पचाने की आदत नहीं है। इसीलिए फूल रहा है। जल्दी बताओ क्या सुनकर आये।
रीजक का मन तो बहुत हो रहा था सुनाने का।
उसने जोर जोर से चिल्ला कर कहा सम्राट ने सब बंद किया,बंद किया।
इतना कहते ही उसका पेट पिचक गया।
इससे इतनी गैस प्रवाहित हुई कि हसीनापुर के कश्मीरी गेट क्षेत्र में अग्नि फूट पड़ी।

सभा ने फिर जयकार किया -
आई.आई.टी कलंक, धूर्ताधिराज, पाखंडशिरोमणि, हसीनापुर के मालिक रीजक की जय।
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