भारत में #कोरोनावायरस के लिए टेस्ट किए गए व्यक्तियों की संख्या और सैंपल की संख्या के बीच का अंतर लगातार 890 बना हुआ है, आधिकारिक आंकड़ों के इंडियास्पेंड की हेल्थ संवाददाता @anoobhu के विश्लेषण के अनुसार।
4 अप्रैल को रात 9 बजे तक, देश में 75,000 लोगों के 79,950 सैंपल टेस्ट किए गए, इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के आंकड़ों के मुताबिक़। क्या यह संख्या समुचित है? क्या यह काफ़ी बड़ी संख्या है?
भारत में #कोरोनावायरस की शुरुआत के पहले कुछ हफ़्तों में, लंबा वक़्त इस बात के विश्लेषण में निकल गया कि क्या हम पर्याप्त टेस्ट कर रहे हैं। इस बात पर सहमति थी कि 120 करोड़ की जनसंख्या के हिसाब से भारत में बहुत कम टेस्ट हो रहे हैं। इसकी वजह थी टेस्ट की शर्तें और कम टेस्टिंग किट्स।
लेकिन यहां एक बात और भी है: जब गायिका कनिका कपूर के संक्रमित होने का शक हुआ तो उनके कई बार टेस्ट किए गए। इससे बहुत से लोगों के बीच भ्रम पैदा हुआ, जो जानना चाहते थे: कनिका के होने वाले कई टेस्ट संसाधनों की बर्बादी तो नहीं थी।
वास्तव में, बार-बार टेस्ट किसी भी सटीक नतीजे के लिए महत्वपूर्ण हैं ताकि व्यक्ति के संक्रमित होने या ना होने के नतीजे की पुष्टि की जा सके। कभी-कभी ये नतीजे बदल भी जाते हैं।
इस बात को ध्यान में रखते हुए जब हम कहते हैं कि देश में 79,950 टेस्ट किए गए हैं तो क्या हम पर्याप्त संख्या में टेस्ट कर रहे हैं?
आईसीएमआर 13 मार्च से यह आंकड़े जारी कर रहा है (हालांकि निरंतर नहीं)। टेस्ट किए गए सैंपल की संख्या और व्यक्तियों की संख्या के भी।
जब-जब टेस्ट किए गए व्यक्तियों की संख्या जारी हुई, सैंपल और व्यक्तियों के बीच का अंतर 890 ही रहा। आईसीएमआर ने 2 अप्रैल से टेस्ट किए गए व्यक्तियों की संख्या बतानी बंद कर दी है।
सैंपल और व्यक्तियों के टेस्ट का अंतर बार-बार 890 आ रहा है। यह थोड़ा अजीब है: पहला, अगर मान लें कि एक संदिग्ध का 2 बार टेस्ट होता है तो अंतर बड़ा होना चाहिए। दूसरा, जब टेस्ट की संख्या, संक्रमित मामले और डिस्चार्ज हुए मरीज़ों की संख्या रोज़ अलग है तो यह अंतर भी रोज़ अलग होना चाहिए।
. @AnooBhu ने प्रेस ब्रीफिंग में 4 अलग-अलग दिन यह सवाल पूछा। 4 अप्रैल को ICMR में महामारी विज्ञान और संचारी रोगों के प्रमुख रमन गंगाखेड़कर ने इसका जवाब दिया। cont...
रमन गंगाखेड़कर ने कहा, "सही-सही कहना तो मुश्किल है। एक से ज़्यादा होने वाले टेस्ट की संख्या कम होगी। अब तक, 75,000 लोगों का टेस्ट किया जा चुका है।"
. @AnooBhu ने आईसीएमआर के कुछ और महामारी विज्ञानियों और वैज्ञानिकों से बात की। एक वरिष्ठ वैज्ञानिक, जो ICMR में कोरोनावायरस पर काम कर रहे हैं, ने ऑफ़ द रिकॉर्ड एक मूल और महत्वपूर्ण बात की पुष्टि की: टेस्ट किए गए कुल सैंपल्स में बार-बार किए गए टेस्ट भी शामिल हैं।
इसका मतलब यह है कि जिन लोगों के टेस्ट किए गए हैं उनकी संख्या काफ़ी कम होनी चाहिए। सैंपल की संख्या व्यक्तियों से कहीं ज़्यादा होनी चाहिए और व्यक्तियों और कुल सैंपल के बीच का अंतर भी अधिक बड़ा होना चाहिए और यह लगातार 890 नहीं रहना चाहिए।
सरकारी दस्तावेज़ों में साफ-साफ़ कहा गया है कि किसी को भी डिस्चार्ज करने के लिए ज़रूरी है कि उसका बार-बार टेस्ट किया जाए। 5 अप्रैल सुबह 9 बजे तक, 266 लोगों को डिस्चार्ज किया गया (पूरी तरह ठीक होने और COVID19 मुक्त घोषित होने के बाद)।
किसी संक्रमित व्यक्ति को डिस्चार्ज करने के लिए ज़रूरी है कि उसके टेस्ट के नतीजे लगातार दो बार नकारात्मक आएं, सरकार के कंटेनमेंट प्लान के अनुसार। ये दोनों नकारात्मक नतीजे 24 घंटे के अंतराल पर किए गए टेस्ट में आने चाहिए।
कभी-कभी, बीच में किसी टेस्ट का नतीजा पॉज़िटिव आ सकता है, तब व्यक्ति को आइसोलेशन में या अस्पताल में रहना होता है और उसके तब तक टेस्ट होते रहेंगे जब तक कि नतीजे नतीजे लगातार दो बार नकारात्मक नहीं आते।
इसका मतलब है कि डिस्चार्ज हो चुके 266 लोगों के कम से कम तीन टेस्ट किए जा चुके हैं। इसलिए कुल हुए 79,500 टेस्ट में से कम से कम 798 टेस्ट ऐसे हैं जो एक व्यक्ति पर एक से ज़्यादा बार किए गए हैं।
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