एक औसत मुसलमान से पूछिये 'गणेश भगवान कौन हैं' वो सही तौर पर पहचानता होगा,
नवरात्र कब होते हैं, शिव जी की पत्नी कौन हैं,
कृष्ण ने किसका वध किया, उसे पता होगा..

लेकिन आप मुसलमानों के बारे में कितना जानते हैं? ईमानदारी से बताइयेगा कि इस समाज को कभी करीब से देखने की कोशिश की है? (1)
या 'टीवी वाले मुसलमान' को ही 'मुसलमान' समझा है, वो 'टीवी वाला मुसलमान' जिसके मुहल्ले की गलियों में हमेशा 'चांद-तारे' वाली झंडिया सजी होती हैं,
दरवाज़े हरे होते हैं, जो जालीदार बनियान पहनता है, उसके गले में तावीज़, सर पर टोपी और आंखों में सुरमा होता है.. (2)
अगर हां, तो सच तो ये है कि हज़ारों साल की साझा संस्कृति के बावजूद आपने मुसलमानों को कभी नहीं जाना। न आप जानते हैं और न जानना चाहते हैं। (3)
हाल ही में एक न्यूज़ चैनल पर एंकर को ख़बर पढ़ते हुए देख रहा था। उसने कहा, 'फलां गांव में एक ग़ैर मुस्लिम लड़की को उर्दू से इतना लगाव था कि उसने पूरी क़ुरान पढ़ डाली'
इतने साल मुसलमान दोस्तों के बीच रहने के बावजूद जब आप इतना नहीं जान पाए कि कुरान 'उर्दू' में नहीं 'अरबी' में है (4)
तो आप कैसे ये उम्मीद लगा सकते हैं कि हिंदुस्तानी मुसलमान इस मुल्क में उसी तरह रहे जैसे आप रहते हैं। इतने सालों में आपको ये अंदाज़ा नहीं हुआ कि मुहर्रम हैप्पी नहीं होता तो आप मुसलमानों के बारे में कोई भी राय कैसे बना सकते हैं। (5)
जब आप हर साल आखिरी रोज़े पर अपने मुस्लिम दोस्त को मैसेज करके पूछते हैं 'ये मीठी ईद है या गोश्त वाली?' तो आप अपने और उस दोस्त के बीच का फ़ासला बढ़ा लेते हैं।
अफसोस
इतने साल बीत गए पर आपको आज तक असल और हकीकी पहचान नहीं पता। (6)
प्लीज़ ज़रा नज़दीक आईये और हमे और हमारे मज़हब को समझने की कोशिश कीजिये तब शायद आप लोगो को सच्चाई का पता चले...(7)
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