सोनिया गांधी ने केवल वायुसेना को ही कमजोर नहीं किया, नौसेना और थलसेना को भी नष्ट करने की पूरी कोशिश की थी। नौसेना के प्रमुख ने आक्रोश में यह कहकर इस्तीफा दे दिया था कि रख-रखाव के अभाव में डूबती पनडुब्बियों में अपने सैनिकों को मरते वे नहीं देख सकते, किन्तु मोदी जी के प्रधानमन्त्री
@narendramodi @PMOIndia @narendramodi_in बनने तक इस विषय में कुछ नहीं किया गया । तेजस युद्धक-विमान परियोजना के निदेशक रह चुके डॉ मानस बिहारी वर्मा मेरे गुरु जी के ही क्षेत्र के हैं और उनके परिचित भी हैं -- तेजस परियोजना के कार्यान्वयन में जानबूझकर अत्यधिक देरी करवाई गयी जिस बीच
पाकिस्तान अमेरिका से अत्याधुनिक युद्ध-विमान खरीदता रहा । क्या 30 - 35 वर्षों तक किसी टैंक या युद्ध-विमान की परियोजना को घसीटना देशद्रोह नहीं है ? -- इतने काल में तो तकनीक आउट-ऑफ़-डेट हो जाएंगी । रख-रखाव के अभाव में पुराने विमानों की दुर्घटना होती रही और सैनिक मरते रहे !
मनमोहन सिंह के कार्यकाल में आणविक बम बनाने पर अघोषित रोक लग गयी और पाकिस्तान आणविक बमों के भण्डार में भारत से आगे निकल गया । गनीमत है कि पाकिस्तान के पास हाइड्रोजन बम नहीं है । सोनिया-राज में राइफल का बुलेट तक बनाने पर रोक लगी, आयात करने में कमीशन जो मिलता था ! मोदी जी के दो
वर्षों के कार्यकाल में ही फ़ौज के सारे कारखाने पुनः कार्य करने लगे हैं और भारत दर्जनों देशों को हथियार निर्यात करने लगा है । मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी के विरुद्ध देशद्रोह के ढेर सारे मामले बनते हैं । अमेरिका या फ्रांस में ऐसे नेता कब के जेल चले गए रहते, और चीन में तो चौराहे
पर लाइसेन्सड घोड़े से भून दिए जाते ! लेकिन भारत में करोड़ों मतदाता ही मूर्ख और गद्दार हैं जो इन गद्दारों पर जान छिड़कते हैं, मीडिया का अधिकाँश भी देशद्रोही है, जिस कारण मोदी सरकार गद्दारों पर समुचित कानूनी कार्यवाई नहीं करती है ।

@TajinderBagga @RahulGandhi @priyankagandhi
DNA test is needed -- how an Italian has Russian name ?

"Sonia" is Russian name , where her father (a fascist soldier of Mussolini) was in jail. Her father joined Communist Party secretly to save himself.
एडमिरल देवेन्द्र कुमार जोशी ने पनडुब्बियों के रख-रखाव में मनमोहिनी सरकार द्वारा सहायता नहीं देने के विरुद्ध सार्वजनिक बयान दिया था जिसके बाद रक्षा मन्त्रालय ने गुप्त रूप से उन्हें धमकाया (बर्खास्त करने की धमकी दी)। तब गोपनीय समझौता हुआ कि एडमिरल जोशी स्वेच्छा से पद त्याग
देंगे और पनडुब्बियों की दुर्घटना का नैतिक जिम्मेदारी अपने सिर पर लेंगे ! एडमिरल डी के जोशी ने आक्रोश में इस्तीफा ही दे दिया, जिसके बाद सरकार घबराई कि एडमिरल जोशी कहीं राजनैतिक जंग में न कूद पड़ें । तबरक्षा मन्त्रालय ने जोशी जी को समझाया कि यदि वे इस्तीफा वापस लेकर स्वैच्छिक
अवकाश के लिए आवेदन दें तो उन्हें पेंशन आदि का भुगतान किया जाएगा क्योंकि फ़ौज में इस्तीफा देने वाले को भगोड़ा घोषित किया जाता है । एडमिरल जोशी के पास कोई चारा नहीं था, उनके समर्थन में कोई राजनैतिक दल भी सामने नहीं आया, यद्यपि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से सम्बद्ध गम्भीर मसला था ।
नौसेना के ही कुछ वरिष्ठतम अधिकारियों ने एडमिरल जोशी के पक्ष में सार्वजनिक बयान दिए जिस कारण सरकार को इस्तीफा मंजूर करने की हिम्मत नहीं हुई और एडमिरल जोशी को स्वैच्छिक अवकाश दिया गया ।
पनडुब्बियों के रख-रखाव में सरकार द्वारा सहायता नहीं देने के विरुद्ध एडमिरल जोशी का आरंभिक
बयान मैंने अखबार में पढ़ा था, सम्भवतः दैनिक जागरण में ।
किन्तु गूगल सर्च में केवल सेक्युलर अंग्रेजी अखबार ही दिखाये जाएंगे । किन्तु टाइम्स ऑफ़ इण्डिया के एक समाचार में स्पष्ट उल्लेख है कि इस्तीफ़ा से पहले एडमिरल जोशी का केन्द्र सरकार से विवाद हुआ था :-- http://timesofindia.indiatimes.com/india/Navy-chief-Admiral-DK-Joshi-quits-after-another-submarine-fire-govt-quickly-accepts-papers/articleshow/31061435.cms
घटना 2014 लोक सभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से एक मास पहले की है, जब भाजपा भी चुनाव की तैयारी में व्यस्त थी । एडमिरल जोशी मामले को राजनैतिक रंग देने का कोई प्रयास नहीं किया । किन्तु घटिया पुर्जों और रख-रखाव में कमी के कारण पनडुब्बियों की
दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी यदि
एडमिरल जोशी पर थी तो क्या रक्षा मन्त्रालय के उन हाकिमों और मन्त्रियों पर कोई जिम्मेदारी नहीं थी जो सारे फैसले खुद लेते थे किन्तु दुर्घटना का ठीकड़ा देश की रक्षा में खून बहाने वाले बहादुर अफसरों के सिर पर फोड़ते थे ? इन हाकिमों और मन्त्रियों ने कभी युद्ध का सामना किया है ?
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