तबलीगी जमात का इतिहास
18 वीं शताब्दी के अंत और 19वीं शताब्दी के शुरुआत में आर्य समाज ने उन हजारों मुसलमानों को वापस हिंदू धर्म में लाने का काम किया जो लोग मुगलों के शासन के दौरान छल कपट डर भय इत्यादि की वजह से मुस्लिम बन गए थे लेकिन इस्लाम में उनका दम घुटता था
और वह हिंदू बनना चाहते थे। तब आर्य समाज ने बड़े पैमाने पर घर वापसी का कार्यक्रम चलाया और हजारों लोगों मुस्लिम से वापस हिंदू धर्म में दीक्षा दिया।
आर्य समाज के इस अभियान से क्वेटा शहर के पास कांधाल जो अब पाकिस्तान में है का रहने वाला एक मुस्लिम मोहम्मद इलियास बहुत दुखी हुआ
क्योंकि खुद उसके शहर कंधाल और जिले क्वेटा में आर्य समाज के कार्यक्रम में सैकड़ों मुस्लिमों ने हिंदू धर्म स्वीकार किया था।
उसके बाद 1927 में मोहम्मद इलियास अल कंधालवी ने तबलीगी जमात नामक एक कट्टर सुन्नी मुस्लिम संस्था बनाई
और उसने अपने इस संस्था का पहला जलसा भारत के हरियाणा राज्य के मेवात में रखा और उसने सभी मुसलमानों और मुस्लिम धर्मगुरुओं से कहा कि हमें घूम घूम कर मुसलमानों को अपने धर्म के प्रति और कट्टर बनाना है
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ताकि वह कभी इस्लाम धर्म ना छोड़े यहां तक कि वह दबे शब्दों में ऐसा भी कहता था यदि कोई इस्लाम धर्म छोड़ता है तब उसे मार देना चाहिए ताकि ऐसे दूसरे मुस्लिम जो इस्लाम छोड़ना चाह रहे हैं उनके अंदर डर पैदा हो
और धीरे-धीरे तबलीगी जमात से जुड़े मौलवी पूरे अखंड भारत में फैल गए उस मौलवी ने तब के पूर्वी बंगाल जो अब बांग्लादेश कहा जाता है वहां के ढाका में अपना हेड क्वार्टर बनाया पाकिस्तान में उसने कई शहरों में अपना ऑफिस खोला
और भारत में हजरत निजामुद्दीन की दरगाह के ठीक बगल में तबलीगी जमात का मुख्यालय है।
यह संस्था पूरे विश्व में एक बेहद बदनाम संस्था है पाकिस्तान में भी इस संस्था को कई बार आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त पाया गया है
इतना ही नहीं अभी जो पाकिस्तान में करोना की महामारी फैल रही है उसके पीछे सिंध प्रांत में तबलीगीओ द्वारा आयोजित इज्जितमा रहा है जिसमें कई करोना संक्रमित मौलवी आए थे
और 30 दिन तक चलने वाले इज्जितमा के दौरान उन्होंने हजारों लोगों को करोना दे दिया। तबलीगी जमात ने ठीक यही काम भारत में भी किया।इस जमात में विदेशों से भी बड़ी संख्या में मौलवी आते हैं और इस संस्था ने भारत सरकार को इसकी कोई सूचना नहीं दी
और हजरत निजामुद्दीन के अपने मुख्यालय में उसने ऐसे 300 विदेशी मौलवियों को रखा जब सरकार को इसकी सूचना मिली और जांच की गई तो पता चला कि वहां मौजूद 30 विदेशी मौलवी करोना से संक्रमित थे
शेष आगे...
और वह मौलवी हर रोज वहां पर इज्जितमा करते थे जिसे हम हिंदी में सत्संग कहते हैं।सोचिए कि इस संस्था ने कितने और लोगों को करोना से संक्रमित किया होगा
अब तबलीगी जमात नामक इस बदनाम संस्था पर लगे आरोप पर नजर डालिए - 17 नवम्बर 2011 को विकिलीक्स ने खुलासा करते हुए कहा था कि तब्लीगी जमात की मदद से भारत में अलकायदा के नेटवर्क से जुड़े लोगों द्वारा रुपया और वीजा हासिल किया जा रहा है.
18 जनवरी 2016 को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने हरियाणा के मेवात स्‍थित नूहु से अलकायदा के एक संदिग्ध आतंकवादी को गिरफ्तार किया था. ये संदिग्ध तब्लीगी जमात में शामिल होकर झारखण्ड से मेवात पहुंचा था.
एक उलेमा मोहम्मद सलमान पलवल, हरियाणा में एक मस्जिद बनवा रहे हैं जो तब्लीगी जमात से जुड़ा है एनआईए का आरोप है कि इस मस्जिद के लिए जो पैसा लिया गया है वो आतंकी हाफिज सईद के फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन से जुड़े खाड़ी देश में रह रहे एक व्यक्ति से लिया गया है.
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