ऋषि भारद्वाज ने निषादराज को राम के साथ बैठाया तो ना तो क्षत्रिय ने विरोध किया और न तो ब्राह्मण ने ही विरोध किया ...उसको साथ में बैठाया।

तो ये शूद्र वाला भ्रम किसने फैलाया ?

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तो ये शूद्र वाला भ्रम किसने फैलाया ?
रामायण से पता चला कि निषादराज और श्री राम एक साथ गुरुकुल में पढ़े थे एक ही गुरु से दूसरा यह कि वो एक राज्य के राजा थे इसका अर्थ है कि शूद्रों को पढ़ाई का अधिकार था
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उसी जगह पढ़ाई का अधिकार था जहां अन्य वर्ण के लोग पढ़ते थे, उसी गुरु से पढ़ने का अधिकार था जिससे अन्य पढ़ते थे, शूद्रों को राजकाज चलाने का भी अधिकार था। शूद्र वर्ण के लोग भी राजा बन सकते थे।
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और इन दुष्ट वामपंथियों ने इतिहास लिखते समय ये लिख दिया कि सनातन धर्म में शूद्रों को पढ़ने का अधिकार नही था।

#नफ़रत_की_राजनीति_बंद_करों
#समाज़_में_ज़हर_घोलना_बंद_करों

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