"मनुस्मृति में महिलाओं का स्थान भाग -2"

संपत्ति में अधिकार- 

९.१३० –  पुत्र के ही समान कन्याहै, उस पुत्री के रहते हुए कोई दूसरा उसकी संपत्ति के अधिकार को कैसे छीन सकता है ?

९.१३१ – माता की निजी संपत्ति पर केवल उसकी कन्या का ही अधिकार है |
मनुके अनुसार पिता की संपत्ति में तो कन्या का अधिकार पुत्र के बराबर है हीपरंतु माता की संपत्ति पर एकमात्र कन्या का ही अधिकार है | महर्षि मनुकन्या के लिए यह विशेष अधिकार इसलिए देते हैं ताकि वह किसी की दया पर नरहे, वो उसे स्वामिनी बनाना चाहते हैं, याचक नहीं |
@NileshOak
क्योंकि एक समृद्ध औरखुशहाल समाज की नींव स्त्रियों के स्वाभिमान और उनकी प्रसन्नता पर टिकी हुईहै |

९.२१२ – २१३ – यदि किसी व्यक्ति के रिश्तेदार या पत्नी न हो तो उसकी संपत्ति को भाई – बहनों में समान रूप से बांट देना चाहिए | 
@vivekagnihotri
यदि बड़ा भाई, छोटे भाई – बहनों को उनका उचित भाग न दे तो वह कानूनन दण्डनीय है |

स्त्रियों की सुरक्षा को और अधिकसुनिश्चित करते हुए, मनु स्त्री की संपत्ति को अपने कब्जे में लेने वाले, चाहें उसके अपने ही क्यों न हों, उनके लिए भी कठोर दण्ड का प्रावधान करतेहैं |
@RajivMessage
८.२८- २९ –  अकेली स्त्री जिसकीसंतान न हो या उसके परिवार में कोई पुरुष न बचा हो या विधवा हो या जिसकापति विदेश में रहता हो या जो स्त्री बीमार हो तो ऐसे स्त्री की सुरक्षा कादायित्व शासन का है | और यदि उसकी संपत्ति को उसके रिश्तेदार या मित्र चुरालें तो शासन उन्हें कठोर दण्ड देकर,
उसे उसकी संपत्ति वापस दिलाए |

दहेज़ का निषेध – 

३.५२ – जो वर के पिता, भाई, रिश्तेदार आदि लोभवश, कन्या या कन्या पक्ष से धन, संपत्ति, वाहन या वस्त्रों को लेकर उपभोग करके जीते हैं वे महा नीच लोग हैं |
इस तरह, मनुस्मृति विवाह मेंकिसी भी प्रकार के लेन- देन का पूर्णत: निषेध करती है ताकि किसी में लालचकी भावना न रहे और स्त्री के धन को कोई लेने की हिम्मत न करे |

इस से आगेवाला श्लोक तो कहता है कि विवाह में किसी वस्तु का अल्प – सा भी लेन- देनबेचना और खरीदना ही होता है
जो कि श्रेष्ठ विवाह के आदर्शों के विपरीत है | यहां तक कि मनुस्मृति तो दहेज़ सहित विवाह को ‘दानवी‘ या ‘आसुरी‘ विवाहकहती है | 

स्त्रियों को पीड़ित करने पर अत्यंत कठोर दण्ड – 

८.३२३- स्त्रियों का अपहरण करनेवालों को प्राण दण्ड देना चाहिए |
९.२३२-  स्त्रियों, बच्चों और सदाचारी विद्वानों की हत्या करने वाले को अत्यंत कठोर दण्ड देना चाहिए |

८.३५२- स्त्रियों पर बलात्कारकरने वाले, उन्हें उत्पीडित करने वाले या व्यभिचार में प्रवृत्त करने वालेको आतंकित करने वाले भयानक दण्ड दें ताकि कोई दूसरा इस विचार से भी कांपजाए |
इसी संदर्भ में एक सत्रन्यायाधीश ने बलात्कार के अत्यधिक बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए कहा है किइस घृणित अपराध के लिए अपराधी को नामर्द बना देना ही सही सजा लगती है।

स्त्रियों को प्राथमिकता – 

स्त्रियों की प्राथमिकता ( लेडिज फर्स्ट )  के जनक महर्षि मनु ही हैं |
२.१३८-  स्त्री, रोगी, भारवाहक, अधिक आयुवाले, विद्यार्थी, वर और राजा को पहले रास्ता देना चाहिए |

३.११४-  नवविवाहिताओं, अल्पवयीन कन्याओं, रोगी और गर्भिणी स्त्रियों को, आए हुए अतिथियों से भी पहले भोजन कराएं।

मनुस्मृति में महिलाओं का स्थान भाग -1
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