आज तक किसी राजनीतिक पार्टी ने बलात्कार पर दोषी को दी जाने वाली सज़ा को अपना चुनावी मुद्दा नहीं बनाया। इसी बात से समझ जाइए कि आप किन से उम्मीद करके बैठे हैं कि वो आपकी बहू बेटियों की इज्ज़त से खिलवाड़ नहीं होने देंगे।
केस होगा, चलता रहेगा और फिर पीड़ित पक्ष थक जाएगा। जिस दिन फैसला आयेगा उस वक़्त तक वक़्त परिवार वालों के ज़ख्मों पर मरहम रख चुका होगा और उसके बाद क्या सज़ा और क्या जेल सब बेमानी हो जाता है।

सज़ा होगी अपराध करने के बाद ही ना पर इस सज़ा से आगे के अपराध रुक पाएंगे ?
कुंठाग्रस्त , अशिक्षित समाज को देशभक्ति, पाकिस्तान, जात पात से उपर उठने ही नहीं दिया जाएगा।

मानसिक विकृति से पीड़ित होते हैं या सेक्स के भूखे जो ऐसी दरिंदगी को अंजाम देते हैं ?
साउथ ईस्ट एशिया और यूरोप के करीब १९६९० लोगो के साथ एक स्टडी की गई और पाया गया कि, शिक्षा, सामाजिक जागरूकता और कानूनी वेश्यावृति ऐसे कारण है जिनकी वजह से कई देशों में "बलात्कार" के केस लगभग हैं ही नहीं।
आप एक वर्ग विशेष को गलत ठहरा कर हाथ झाड़ कर नहीं निकला सकते।
इंडोनेशिया में तो फिर रोज़ बलात्कार होना चाहिए, हर सड़क पर, हर गली पर ना ??

होता है क्या?
देखिए आंकड़े और आंखे खोल लीजिए अपनी।
और फिर सोचिए कि क्यूं नहीं होता ?
जवाब आपके सामने होगा..
आप उलझे रहिए,

"अयोध्या तो सिर्फ झांकी है, काशी मथुरा बाकी है"

जबकि सोचना ये है कि

"डॉ प्रियंका तो झांकी है, आपके घर की बहू बेटियां बाकी है"

निकलिए घर से और पूछिए अपने सांसद से कि उसकी सरकार ने कोई कदम क्यों नहीं उठाया आज तक ?
भेजिए पत्र @narendramodi जी को और पूछिए ..
पूछिए उन लोगों से जो चुनाव के दौरान विरोधी नेताओ के घर चप्पल , गुलाब, धोती भेज कर ट्विटर पर फोटो लगाते हैं।

ज़मीन पर उतर कर किसने आंदोलन किया ?
बांध नहीं बनेगा, पेड़ नहीं कटेंगे पर बेटियां मारी जाती रहेंगी ?

रीढ़ की हड्डी बची नहीं किसी राजनीतिक दल में..
सुबह सुबह इतना आक्रोश इसलिए कि ऐसे हर किसी दुखद मौकों पर लोग अपनी कला की अभिव्यक्ति का साधन बना कर रीट्वीट गिनने बैठ जाते हैं।
हैश टैग, कविता, कहानी, कोट्स, कुछ व्हाट्सएप वाले फॉरवर्ड और फिर चाय की चुस्की वाली फोटो या "हेविंग फन इन पेरिस" वाली ट्वीट २ घंटे बाद..
आप पिछले ५० सालों के आंकड़े निकालिए और देखिए कि किसी भी अपराध में किसी वर्ग विशेष का कितना हिस्सा रहा है।

आपकी आंखें खुल जाएंगी। वर्ग विशेष में कुछ नहीं बदला , बदला सिर्फ ये कि अब आपकी हर परेशानी को उनके मत्थे मार दिया गया।
नौकरी नहीं तो उनकी जनसंख्या, अपराध तो भी वही...
अभी २ दिन में किसी नेता का ऐसा बयान आयेगा कि पूरा सोशल मीडिया उस और भटका दिया जाएगा और डॉ प्रियंका इतिहास का हिस्सा बन जाएंगी।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और न्याय के लिए उनके परिवार को भटकाए नहीं।उम्मीद करता हूं कि डॉ प्रियंका के बाद किसी बेटी को इस दरिंदगी से गुजरना ना पड़े।
मुझे डीएम भेजकर गरियाने से कि आप को अनफॉलो कर रहा हूं क्यूंकि आप तो कुछ और निकले कहने वालों के परिवार से सहानुभूति है मुझे कि वो एक नालायक नस्ल पाल रहे हैं अपने घर में।
सवाल ना करने वाली कौम हमेशा बर्बाद हुई हैं..
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