#गांधी को #राष्ट्रपिता कहने वाले पहले व्यक्ति #सुभाष चंद्र बोस ही थे, पर इस कारण नहीं कि वे #गांधी के तरीकों को सही मानते थे, बल्कि इस कारण कि #सुभाष चंद्र बोस सभी भारतीयों की #एकता चाहते थे ।
#अंग्रेजों के विरुद्ध वे #जर्मनी, #रूस और #जापान से लेकर सभी भारतीयों को एक करना
चाहते थे -- यह #नेताजी की रणनीति थी जिसका #कांग्रेसी #अपवित्र परिवार के चमचे जानबूझकर #भ्रामक अर्थ लगाकर लोगों को गुमराह करना चाहते हैं |

अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले #गांधी की #अहिंसा ये थी कि उन्होंने #भगत सिंह की #फांसी रुकवाने से #इंकार कर दिया और #राष्ट्रीय एकता इतनी चाहते थे
कि कांग्रेस अध्यक्ष पद पर उनके विरोध के बाद भी सुभाष की जीत हो जाने पर उनको कांग्रेस से निकालने के लिए #अनशन पर बैठ गए |

#कुत्ते के मरने पर भी व्यंग्य की भाषा में कोई शोक व्यक्त नहीं करता, पर #भगत सिंह और #नेताजी के हत्यारों को किस प्रकार सम्मान मिलनी चाहिए यह कांग्रेसी कभी नहीं
समझेंगे |
#दिल्ली में #नेताजी और #भगतसिंह के #स्मारक कांग्रेसियों ने क्यों नहीं बनवाए ?? क्योंकि इनको खुद को और बाबर को अमर करना था , #बाबर की नाज़ायज़ औलाद जो ठहरे इंदिरा ने खुद को #बाबर वंशज बोला था ।

मैं तो केवल शब्दों से सम्मान दे रही हूं इन बाबर के वंशजों को , आने वाली
पीढ़ी जूते से देगी ।

सबको सच धीरे धीरे पता चल रहा है

@narendramodi_in @INCIndia @RahulGandhi @priyankagandhi
जी सर्वप्रथम उन्होंने ही ये सम्बोधन किया था अपनी जर्मनी यात्रा के पूर्व
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