महाभारत पश्चात विद्वानों के अभाव में लोगों ने वैदिक ईश्वर के स्वरूप को भुलाकर प्राचीन महापुरुषों की मूर्तियां बनाकर उनकी पूजा शुरु कर दी ।फिर भावना में बह कर मूर्तियों को भी अपने जैसे (खाने पीने वाला पहनने वाला मान कर) उन्हें वस्त्राभूषण से अलंकृत कर विशाल मंदिरों में बिठा दिया
और अपनी कामना पूर्ण करवाने के लिए मंदिरों का खजाना भरने लगे ।जिसे देखकर लालची लुटेरे मुसलमान मंदिरों पर गिद्धों की भांति टूट पड़े और मूर्तियां खजानों के साथ-साथ पुजारियों को भी पकड़ कर अपने देश में ले गये ।
लिंगपूजकों का सर्वोत्तम लिंग और स्थान सोमनाथ है
लिंगपूजकों का सर्वोत्तम लिंग और स्थान सोमनाथ है
।वहां के विशाल मंदिर में शिवलिंग मध्य में लटका हुआ था। यह मंदिर असंख्य संपत्ति से परिपूर्ण था। सागर के तट पर बना यह मंदिर भारत की गौरव गरिमा का प्रतीक था।आक्रामक महमूद गजनबी ने इसकी ख्याति सुनकर आक्रमण कर दिया भारतीय वीर नरेशों ने सामना करने की तैयारी की किंतु अंधविश्वासी
पुजारियों ने उन्हें युद्ध करने से रोक दिया उनसे यह कह दिया गया कि हमारे महादेव बाबा स्वयं सक्षम हैं।वे अपने गणों से के मध्य से म्लेच्छों को मार भगाएंगे। आप लोग शांत रहिये। फिर क्या था वीर नरेश चुप्पी साधे बैठे रहे ,महमूद गजनबी ने पुजारियों से शिवलिंग का जो अधर में लटका हुआ था
था मार मार का सारा भेद जान लिया। गजनबी ने अपने हाथों गदा से उस लिंग पर प्रहार किया। चुंबक टूटा और शिवलिंग जमीन पर आ गिरा। अरबों की संपत्ति लूटकर गाड़ियों में भरकर ले गया और पुजारियों को भी ले जाकर वहाँ पैसों में बेच दिया शिवलिंग को चीर कर दो टुकड़े किए एक
एक टुकड़ा मस्जिद की सीढ़ियों पर और दूसरा टुकड़ा शौचालय में लगा दिया, इस पर हजारोंजूते और हजारों मन विष्ठा पड़ती है।इस लिंग ने आज तक किसी म्लेच्छ की उंगली तक न तोड़ी।अरे हिन्दुओं तुम्हारे मन में यदि तनिक पीड़ा है तो सोमनाथ जाकर अपने पूज्य देवों की दुर्दशा देखो।
वहां विशाल भवन बना हुआ है जिसमें सभी देवताओं की मूर्तियां रखी हैं,उन पर सन्(वर्ष)भी पड़ा है। हाल यह है कि कोई मूर्ति नहीं जो विकलांग ना हो
यह सब क्यों हुआ मूर्ति पूजा और अंधविश्वास के कारण। अफसोस सिर्फ यह है कि इस पर भी हिन्दू जागता नहीं ।वरन् समझाने वाले को ही अपना शत्रु मानता
यह सब क्यों हुआ मूर्ति पूजा और अंधविश्वास के कारण। अफसोस सिर्फ यह है कि इस पर भी हिन्दू जागता नहीं ।वरन् समझाने वाले को ही अपना शत्रु मानता
मूर्तियाँ न भाग्य बदलती है न रक्षा करती हैं। मूर्तियाँ पूजने से व्यक्ति कमज़ोर डरपोक होता है देखो यह हिन्दू डरता हुआ जहाँ कही भी मुर्ति क़ब्र मन्दिर दरगाह देखी वहीं सिर झूकाने लगा नाक रगड़ने लगा है। निराकार ईश्वर की उपासना से मनुष्य भगवान से बल शक्ति बुद्धी की कामना करता है ताकि
ताकि वे अपनी रंक्षा स्वयं कर सके। यही कामना तो इस निम्न मंत्र में की गई है जिसका पाठ सब मनुष्यों को करना चाहिए
ओ३म् तेजोसि तेजो मयि धेहि । वीर्यमसि वीर्यम् महि धेहि ।
बलमसि बलं मयि धेहि । ओजोस्योजो मयि धेहि ।
मन्युरसि मन्युम मयि धेहि । सहोसि सहो मयि धेहि ।
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https://abs.twimg.com/emoji/v2/... draggable="false" alt="🍁" title="Maple leaf" aria-label="Emoji: Maple leaf"> अर्थात
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ओ३म् तेजोसि तेजो मयि धेहि । वीर्यमसि वीर्यम् महि धेहि ।
बलमसि बलं मयि धेहि । ओजोस्योजो मयि धेहि ।
मन्युरसि मन्युम मयि धेहि । सहोसि सहो मयि धेहि ।
हे परमात्मा ! आप तेजरूप हैं , हमें तेज से संपन्न बनाइये । आप वीर्यवान हैं , हमें पराक्रमी साहसी बनाइये । आप बलवान हैं , हमे बलशाली बनाइये । आप ओजवान हैं , हमें ओजश्वी बनाइये । आप मन्यु रूप हैं , हमें भी अनीति का दुष्टो का प्रतिरोध करने की क्षमता दीजिये
आप कठिनाइयों को सहन करने वाले हैं , हमें भी कठिनाइयों में अडिग रहने की , उन पर विजय पाने की शक्ति दीजिये ।
- यजुर्वेद १९\९
वीर्य्यमसि वीर्य्यं मयि धेहि!!
ॐ बलमसि बलं मयि धेहि!
ओजोsसि ओजो मयि धेहि!!मन्युरसि मन्युं मयि धेहि! सहोsसि सहो मयि धेहि!!
https://abs.twimg.com/emoji/v2/... draggable="false" alt="😊" title="Smiling face with smiling eyes" aria-label="Emoji: Smiling face with smiling eyes">
https://abs.twimg.com/emoji/v2/... draggable="false" alt="🙏" title="Folded hands" aria-label="Emoji: Folded hands">,,,,,पूनम चतुर्वेदी
- यजुर्वेद १९\९
वीर्य्यमसि वीर्य्यं मयि धेहि!!
ॐ बलमसि बलं मयि धेहि!
ओजोsसि ओजो मयि धेहि!!मन्युरसि मन्युं मयि धेहि! सहोsसि सहो मयि धेहि!!