प्रिय सोशल मीडिया के मठाधीशों ,

उड़ना पखेरु की ज़रूरत है , जब आप उड़ने लग जाते हो तो आपके सोशल मीडिया पर बने रहने का औचित्य समाप्त हो जाता है। आप सोशल मीडिया को एन्टी सोशल मीडिया में तब्दील करने की मुहिम में अराजक तत्वों के झुंड में शामिल हो जाते हैं।

पढ़िये एक केस स्टडी...
अलग अलग काल मे अलग अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ये कारनामा हमने खुद किया था। वो क्या है कि हमे अपनी गिरेबाँ में झांकने का बहुते शौक है। जब जब लोग चने के झाड़ पर चढ़ाने लगते हैं तो हम खुद की औकात परख लेते हैं दोबारा से।

बात उन दिनों की है जब ना फेसबुक था और ना ट्विटर और ना ऑरकुट
उस समय फोरम हुआ करती थी अलग अलग बिषयों पर और उनके अलग अलग कारनामे हुआ करते थे। एक बहुत नामचीन फोरम हुआ करती थी जिसके लाखों, जी हां लाखों मेंबर्स थे और हर एक वक्त करीब लाख के आसपास मेम्बरान ऑन लाइन रहा करते थे।

नेट पर घूमते घामते हम भी एक दिन शामिल हो गए उस ग्रुप में..
वक़्त उन दिनों काफी हुआ करता था हमारे पास और नेट की स्पीड भारत से काफी ज़्यादा , कॉपी पेस्ट करने को समान भी बहुत ज़्यादा।

New Bee से मॉडरेटर बनने में लगा सिर्फ 6 महीना और रेपुटेशन पॉइंट में हमको मिले 90 जो कि एडमिन से सिर्फ 10 पॉइंट कम थे।
लोग हमको सर ,सर, गुरु ,मालिक की उपाधि से नवाज़ने लगे थे और इनबॉक्स में आके रेपो पॉइंट के लिए रिक्वेस्ट करते थे, वैसे ही जैसे यहां पर आप और हम नीले तीर वालों को इन बॉक्स में लिंक भेजकर हाथ जोड़ते हैँ कि RT कर दीजिए..

हम फेमस होने लगे थे..
चीता होने लगे थे..
उड़ने लगे थे.....
हमारी हर पोस्ट पर नए बच्चे ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद के नारे लगाते थे।
सैकड़ों लोग जयकारा लगाते थे और हम थोड़े और कुप्पा हो जाते थे।
चूंकि उन दिनों ये सब नया था तो भय कारण लोग अपना असली नाम पता ज़ाहिर नही होने देते थे पर फिर भी करीब 500 लोग "खास दोस्त" बन गए थे उस फोरम के।
हमको लगने लगा कि बस अब भारत रत्न , नही तो दादा साहब फाल्के या फिर परम वीर चक्र जैसा कुछ अब मिलने ही वाला है। अनजान मेंबर्स और खास दोस्त रोज़ आते और एक धक्का देते तशरीफ़ पर और हम फिर थोड़ा ऊपर चढ़ जाते झाड़ के...

और फिर एक दिन..
हमको एक ऐसा मुहिम सौंपा गया जिसमें इंटरनेट तो दूर की बात , फ़ोन करना भी बहुत मुश्किल था।
महीने महीने भर शहर से दूर रहने के बाद जब कुछ घंटों का वक़्त मिलता था तो घर पर फोन, साहब को रिपोर्ट अपडेट और वापिस..

उन छः महीने वो फोरम के दर्शन नहीं हुए।
पर ऐसे तो अमिताभ भी गायब हुए थे...
आखिरकार हम वापिस आये और पहली फुरसत में लोग इन हुए...
हमारा झाड़ टूट कर एक कोने में अधमरा पड़ा था..
एक नया झाड़ ऊंचाइयां लेने को व्याकुल था..
उसकी वाह वाही होने लगी थी..
अपने इनबॉक्स में झांक कर देखा तो देखा वहां अब गुरु, मालिक , बादशाह कहने वाले नदारद थे..
उनका गुरु बदल चुका था..
पहले महीने के इनबॉक्स मेसेज और आखिरी महिने के इनबॉक्स मेसेज में सिर्फ यही जानना था लोगों कि आप पोस्ट क्यों नही कर रहे।

मैं ज़िंदा था, मर चुका था, कहां था किसी को कुछ मतलब नही था।
यहाँ तक कि एडमिन को भी सिर्फ यही चिंता क्यूंकि मेरे पोस्ट से ट्रैफिक बढ़ता था।

गिरेबाँ खुल गयी थी..
फिर चढ़ा ऑरकुट का नशा, पुराने एक्सपीरिएंस के बाद भीअक्ल  आयी नही थी। 

ऑरकुट की दुनिया मे शुरुआत की और फिर एक सोनू निगम का ग्रुप बना डाला, बहुत पसंद करता था सोनू को सारेगामा वाले दिनों से।
उनका दूरदर्शन को दिया एक इंटरव्यू दिल को छू गया था जिसमे उन्होंने कहा था कि जब मैं फेमस हो जाऊंगा और मेरा नाम हो जायेगा तो सन्यास ले लूँगा और पहाड़ो पर चला जाऊंगा। बीच मे ऐसा हुआ भी पर वो किस्सा फिर कभी।
ऑरकुट में भी वही सब शुरू हुआ,

"कहाँ से लाते हो आप ऐसी बातें"

"गज़ब भाई"

"आप तो किताब लिख डालो" तक बात पहुंच गई इस बार।
सोनू निगम से भी मुलाकात हुई। साथ बैठे बातचीत हुई, ज्यूँ ही फोटो डाली ऑरकुट पर सोनू के साथ , हम पहले से ज़्यादा महान हो गए। अब हमारे फैन भी बनने लगे थे। झाड़ फिर उगने लगा, हमको फिर नीचे से धकेल कर रोज़ ऊपर की तरफ किया गया।
वो जो "वाह वाह" "क्या बात है भाई" "आप तो बस फलाना हो ढिकाना हो" का नशा होता है ना वो साला स्मेक से भी ज़्यादा जानलेवा होता है। आपको ऐसे दुनिया मे पहंचा देता है जो होती ही नही। 

मैं फिर दाखिल हुआ उस दुनिया मे...

खुश था..
बहुत खुश...
सब मुझे जानते थे ,मैं किसी किसी को जानता था।

अमिताभ को सब जानते है तो ये कहां से ज़रूरी हो गया कि अमिताभ भी सबको जाने ?

कुप्पा तैयार होने लगा फिर से और एक दिन कमीना मार्क ज़ुकरवा आ गया...
आज मुझे ना सोनू निगम पहचानेंगे और न ऑरकुट वाले फैन।

किसी को ये भी याद नहि होगा कि मर्रे नाम का कोई शक्श था भी वहां।

2 साल की हज़ारों वाह वाह की कीमत थी 2 कौड़ी की ।
वो कुमार विश्वास जो बने ही ऑर्कुट की वजह से उनसे भी पूछिये तो उनको एक आध किसी का याद होगा।

आभासी लोग ,आभासी दुनिया मे ही खो जाते हैं ये थोड़ा समझ आया पर ऑर्कुट के जाने कुछ सालों बाद जब मैंने फेसबुक पर अपने शहर का एक ग्रुप बनाया था।
जब करीब 1000 दोस्त बना लेना बेहद बड़ी बात होती थी और ग्रुप में 1000 मेंबर होना बहुत बहुत बड़ी बात तब सालों पहले, ग्रुप में 5000 हज़ार मेंबर जुड़ गए ,मेरे शहर के अनजाने किस्से कहानी सुनके।
उसमे मेरा अपना कुछ नही होता था, बस गूगल बाबा मेरा दोस्त था, याहू सर्च उन दिनों बेहतर था , डॉग पाइल पर आपको बहुत कुछ अजूबा सा मिल जाता था।

यु ट्यूब शुरू हो गया था। मैंने भी मजमा लगाना शुर किया फिर से, पर इस बार मैं सतर्क था।
गिरेबां खोला हुआ था और आखरी बार का टेस्ट खुद लेना चाहता था।
शायद 15000 मेंबर एक ऐसे ग्रुप के जिसमे ना मोदी जी की बात, न राहुल की, ना हिन्दू की ना मुस्लिमों की, ना कॉपी किये हुए किस्से , ना व्हाट्सप्प के फारवर्ड, को शांति से चलाना कितना आसान है आप कभी करके देखिएगा।
कॉपी किये हुए इतिहास के टुकड़ो पर भी ऐसी वाह वाही मिलने लगी कि दिमाग खराब होना लाजमी था, पर इस बार मैं सर्तक था, नही हुआ। 

लोगों ने मुझे महान इतिहासकार बना दिया, मुझसे लोग इनबॉक्स में आकर 1857 , 1947 डिसकस करने लगे ।
और तो और साहब, आप यकीन नही मानेंगे एक JNU के प्रोफेसर सहाब ने मुझे पीएचडी में मदद देने का वादा भी कर दिया।

अब उन्हें कौन बताता कि पीएचडी के लिये पहले MA करना पड़ेगा और मेरा मूड था नही पढ़ाई का 😊
वहीं पर लिखते लिखाते , कॉपी पेस्ट करते कराते, एक दिन मज़ाक मज़ाक में एक ओरिजिनल नावेल लिख डाला।

भाई साहब, क्या बताएं आपको कि मुझे कैसे कैसे नवाज़ा गया..

"शिवानी जी के बाद मैं ही ऐसा एक मात्र लेखक हूँ जिसको पढ़ो तो लगता है फ़िल्म चल रही है"
"आज प्रेम चंद होते तो आपको चूम लेते"

"आवारा मसीहा के बाद अगर कुछ कालजयी है तो बस आपका नावेल"

कोई एक ऐसा नाम न बचा जिसे के साथ खड़ा ना किया गया हो..

जबकि जन्नत  की हकीकत हमे पता थी।
सच कह रहे हैं कि उस को लिखने के बाद अगर हमने 6 महीने का इंतज़ार करके फिर पढ़ा होता तो आग लगा देता।

मेरी नज़र में वो एक बहुत वाहियात किताब है जिसको मेरे दोस्तों ने सिर्फ इसलिए सराहा कि वो मेरे दोस्त है।
झाड़ पर चढ़ने लगा था , मालूम होते हुए भी, अपने को "महान और कालजयी" लेखको की जमात में खड़ा कर लिया।

फिर फेसबुक से गायब हो गया। हफ्ते भर बाद किसी को ध्यान आया कि मैं नहीं दिख रहा, ग्रुप में एक महीने बाद वो भी होना बंद हो गया।
मेरे करीब 2000 दोस्त और 20,000 सो कॉल्ड फैंस में से आज किसी को ये भी पता नहीं कि मैं हूं कहाँ।

तो जनांब ये हकीकत है आपकी, ये औकात है आपकी..

और यही किस्सा है आप ट्वीटर के महानायकों का..
यहां आगे बढ़ना इतना आसान है कि आप अंदाज़ा भी नही लगा सकते। इसका एक खास कोड है फोलोवर्स बढ़ाने का,

1. मोदी की तारीफ आंकड़ो के साथ

2. मोदी की बेइज़्ज़ती आंकड़ो के साथ

3. हिन्दू धर्म 

4. इतिहास का इतिहास
आपको कुछ नहीं करना ,बस गूगल पर जाना , ढूंढना और लगा देना। 

मोदी जी की आंख बंद कर तारीफ नही कर सकता और ना उनकी बुराई। उनके अगके अच्छे काम है तो कुछ कामो पर उंगली भी उठाई जा सकती है।
मैंने यही किया , इतिहास और हिन्दू धर्म पर जी भर कर कॉपी पेस्ट किया और एक साल में 1100 से करीब 5000 पर आगया। थोड़ा कॉन्ट्रोवर्सी वाला लिखता तो आज 10000 होते , फिर क्या होता ?

घर पर रोटी आ जाती ?

आप देश बदल लेते ?

आप देश विरोधी ताकतों को रोक लेते ?
जो आप को आज यहाँ देश विरोधी दिख रहे हैं वो और जो देश प्रेमी है, सब साथ है इस राजा के वरना इस राजा ने सबको अंदर कर देना था।
इतना जान लीजिए, राजा अपनी पर आ जाये तो उसे कोई रोकने वाला नही। एक पुलिस का अदना सा सब इंस्पेक्टर आपकी ज़िंदगी हराम कर सकता है और आपको लगता है कि हमारा राजा मजबूर है?
माफ कीजियेगा आप हद दर्जे के नामाकूल हैं।आज जो हो रहा है सब उसकी मर्जी मुताबिक और आप वही कर रहे है जो वो।चाह रहा है।
देश बदलना है तो उतारिए ज़मीन पर और "make them famous" वाली पोस्ट लगाने की बजाए आप कुछ वैसा काम करिये। बैठिए आमरण अनशन पर और देखिये आपकी कौन नही सुनता है। कर पायंगे आप ?

कुछ लोग कर लेते हैं और वो कर रहे है बाकी सब यहां महिमा मंडन का खेल है।
हिन्दू मुस्लिम नफरत वाला कार्ड सारी पार्टियां मिल कर सालों से खेल रही हैं। सवर्ण दलित का कार्ड अभी नया नया है। इसे और ना फेंटिए , नुकसान आपका ही होना है।

कल को भगवान न करे, घर मे एक बोतल खून की ज़रूरत पड़े तो आप ढूंढते रहिएगा अपने धर्म और जाति वाला खून...
आभासी दुनिया मे बहुत कम लोग होते है जो दोस्त कहलाने का हक रखते हैं, मत जाने दीजिए दूर उनको...

यहाँ 5 लोग जानते होंगे मेरा नाम और 10 लोग जानते होंगे मेरा काम।

क्या करियेगा आप इतनी भीड़ बढ़ाकर जब कोई सुध लेने वाला ही नही ?
यहां आइये, कुछ पढ़िये, नेगेटिव खबरों से दूर रहिये, पोसिटिव खबरों को आगे बढ़ाइए, कोई आपकी बात ना माने या ना समझे तो दाल चावल लेकर ना चढ़ जाइये, बहस का कोई हल आप यहाँ निकाल ही नही सकते क्यूंकि आप खुद यहां मुवक्किल भी है और जज भी...
Check out @Shrimaan’s Tweet: https://twitter.com/Shrimaan/status/1011470587858804736?s=09
@Interceptors भैया , आज एक बात और समझ आगयी कि यहाँ पर लोग सिर्फ पढ़ते हैं पर शायद ध्यान से नहीं।
सनसनीखेज वारदातों का स्कोप यहाँ इतना है नही पता था। पिछले 2 दिनों में उस ज्यूडिशरी वाली पोस्ट की वजह से 1000 से ज्यादस लोग जुड़ गए।

डिस्क्लेमर पता नही कितने लोगों ने पढ़ा था 🙏🙏🙏
सोच रहा हूं लगे हाथ स्वचुरित वाली पोस्ट भी यहीं जोड़ दूँ।

क्योंकि वो भी मिथ्या ही है।
क्या तेरी पोस्ट,
क्या मेरी पोस्ट...
क्या फोलोवर्स..
क्या रिट्वीट..

कल को यहां कुछ नही रह जायेगा।

एक दिन मोदी जो रात को घोषणा कर देंगे।

मितरों,
आज रात 12 बजे से ट्विटर बैन.......
और फिर इसी के साथ पैदा होते है सोशल मीडिया पर ढेर सारे सोशल अब्दुल्ले।

इनको अब्दुल्ला क्यों कहा गया ये जानने के लिए आपको उस कहावत की कहानी ढूंढनी पड़ेगी जिस में कहा गया था
"बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना"

यहां आपको कई तरह के अब्दुल्ले मिल जायँगे।
इस से पहले आप हजारी प्रसाद या बीस हजारी प्रसाद के लिए ट्विटर पर हाथ पैर जोड़े,
ये देख लीजिए...

देखिए कि इसमें वॉरेन बफेट कहां है और कहां है जैक मा और कहां है मित्तल और अंबानी...

नए साल पर अपने को फॉलो कीजिए और अपने से दोस्ती कीजिए...

बाकी सब मिथ्या है...😎😎😎
प्रशंसा किसको पसन्द नहीं ?
ये प्राकृतिक ही है और आप इसके दुष्परिणामों से बच नहीं सकते। अब आप पर निर्भर करता है कि आप अपनी प्रशंसा को कहां तक ले जाते हैं।
खास तौर पर आभासी मित्रों द्वारा की गई प्रशंसा , उन लोगों द्वारा की गई प्रशंसा जो आपके लिखे को आपका चरित्र मान लेते हैं।
ऊपर इतना कुछ लिख देने के बाद, सब कुछ समझ लेने के बाद भी आखिर मै भी तो एक साधारण मनुष्य ही ठहरा तो यदा कदा मै भी सम्मोहित हो ही जाता हूं जब मेरे लिखे को लोग "मेरा" ज्ञान मान लेते हैं।

बहुत "हम्बल" होने के बावजूद भी दिल में अच्छा तो लगता ही है।

लगता है ये सब सच ही है...
और इस से पहले मै चने के झाड़ पर फिर चढ़ता, अपनी की गई प्रशंसा को सच्चाई मान बैठता , नियति ने मेरी मुलाकात करवाई @wh0mi_ से..

मेरा हमेशा से मानना रहा है कि आपके जीवन में जो भी होता है, आप जिस से भी मिलते है उसके पीछे महादेव की मर्ज़ी होती है।

वो आपके लिए कुछ बुन रहे होते हैं..
मै कल तक @wh0mi_ को एक बड़े भाई की तरह दुनियादारी की बातें , अपनी जी गई ज़िन्दगी के हिसाब से समझाता रहा था। और यही बोल रहा था कि शायद मै किसी नियतिवश ही उनसे मिला हूं।

आज वो चले गए हैं वापिस तो मुझे भी समझ आ गया कि महादेव ने उन्हें क्यों भेजा था मेरे पास..
आप सब जो भी मुझे पढ़ते हैं उनको लगता है कि मै बहुत ज्ञानी ध्यानी हूं, धर्म की सेवा कर रहा हूं, जाने कितने वेद पुराण पढ़ रखे है मैंने।

वो जो भी मैंने पढ़ा है पिछले ५ सालों में पढ़ा होगा। अनुज @wh0mi_ पिछले २० सालों से इन्हीं सब में लगे हुए हैं।

सोचिए अब आप ....
मेरी यात्राएं आपको दिखती हैं क्योंकि मैं आपको दिखाता हूं। उनकी नहीं दिखती जो वो करीब १५ सालों से कर रहे हैं।
उनका ज्ञान आपको नहीं दिखता क्यूंकि वो ज़रा शर्मीले हैं, मै नहीं हूं तो दिख जाता है।
वो ऐसे ही हैं...
अब शायद ना रहें ❣️❣️
उनका मेरे से मिलना,महादेव का इशारा था कि श्रीमान बाबू, आप ने अभी यात्रा शुरू भी नहीं की है। उनके ज्ञान को देख सुनकर मै भौचक्का रह गया हूं,शर्म आने लगी है मुझे अब जब कोई मेरी प्रशंसा कर रहा है।

मेरी ज्ञान यात्रा शायद आज से शुरू होगी..

महादेव की अनुकम्पा है एक बार फिर मेरे पर..
९ साल हुए मंच पर और ये भी देखते हुए कि लोग कैसे रंग बदलते हैं।खुशनसीब हूं मै कि मेरे ज़्यादातर मित्र, मेरे से आज भी उतने ही स्नेह और प्रेम का बर्ताव करते हैं जैसे पहले दिन करते थे। ये भी सच है कि कुछ लोग साथ है किन्तु उनका होना अब एक होना मात्र है, वार्तालाप नहीं होता कभी भी।
लोग आपसे जुड़ते है किसी एक उम्मीद के साथ और जब आप वो उनकी उम्मीद नहीं पूरी कर पाते है तो वो निष्क्रिय हो जाते हैं।
इसके अलावा कुछ समूह बाजी भी चलती ही है जिसका अगर आप हिस्सा नहीं है तो आप बस अलग थलग ही रहने वाले हैं।
इस मंच का सबसे खूबसूरत उपयोग बहुत कम लोग करते हैं। मै खुशनसीब हूं कि मै ऐसे सभी लोगों के साथ जुड़ा हुआ हूं।

सकरात्मकता फैलाते रहें..
इसकी बहुत ज़रूरत है..
आप सभी का आभार जुड़े रहने के लिए।
पिछले सालों में कुछ गलतियां हुई हो तो क्षमा चाहता हूं।
❣️❣️
इस मंच पर लोगों के ईगो आसमां से भी बड़े हैं।
इसका नाम आभासी दुनिया ऐसे ही नहीं रखा है।
यहां जो दिखता है वो होता नहीं है।
मृगतृष्णा है ये एक जिसमे आप भटक जाते हैं।
तो मैं क्यों हूं यहां ?
यही पूछने वाले हैं ना आप ?
मैं अपने लिखे को आप सभी को पढ़वाने को हूं यहां 🥰
आप का कद ज़रा ऊंचा हुआ तो आपका "करीबी" मित्र आपके पैर के नीचे से ज़मीन सरकाने में लग जाएगा।
यहां टाइमलाइन पर नहीं डीएम में सच बोला जाता है।
अगर आप छात्र है, तो आज की तारीख में आप यहां अपना टाइम नष्ट कर रहे हैं।
अगर आप किसी कैरियर की तलाश में हैं तो ये मंच फिलहाल आपके लिए नहीं।
आपके कद आपके फॉलोअर्स देख कर नापे जाएंगे। तथाकथित मठाधीश आपकी किसी भी बात का जवाब कभी नहीं देंगे और आपको दिन भर एक हीनभावना से ग्रसित रहेंगे।
क्या कर पाएंगे फिर आप आगे?
रोज़ के करीब करीब तीन चार घंटे आपके सोशल मीडिया पर नकली दंगल देखने में निकल जाते हैं।
किसी रोज़ किसी वृद्धाश्रम में जाकर एक घंटा व्यतीत कर के आइए...
वो आपको फॉलो तो नहीं करेंगे पर इतनी दुआ देंगे कि आपकी ज़िन्दगी खुशियों से भर उठेगी।
आप जिनका फॉलो बैक पाने की कोशिश में दिन रात एक किए रहते हैं वो हैं कौन आपके ?
आपको कल इनकी जरूरत पड़ेगी तो क्या करेंगे आपके लिए?

कुछ नहीं ...
मेरा अपना देखा हुआ है क्योंकि मैं भी आजतक किसी के लिए कुछ नहीं किया।
बस, करूंगा कह कर आगे निकल लिया।
सच है ये...
इस भीड़ में कुछ गिने चुने लोग होंगे जो यारो के यार होते हैं और वो आपके लिए सब कुछ न्योछावर कर देंगे।
मैं नसीब वाला हूं कि मुझे यहां मिले है कुछ लोग,
आपके पास हैं यहां कोई ?

ढूंढिए, नहीं मिले तो कट लीजिए यहां से..
ट्विटर ७० के दशक की बंबई हैं जहां लोगों के अपने अपने गैंग हैं।
आप उनके प्यादे है, जब तक आप उनके इस्तेमाल आते रहेंगे आप को पूछा जाएगा।
उसके बाद आप चाय में पड़ी मलाई की तरह कोने में लटका दिए जाएंगे और आपको पता भी नहीं चलेगा।
क्या हुआ अचानक आज मुझे ?
कुछ खास नहीं, सिर्फ इसके कि मैंने आज फिर कुछ महलों को धाराशाई होते देखा है। उन महलों की दीवारें गिरी तो अंदर पड़ी गंदगी दिखाई दे गई।
बुरा लगा है मुझे ?
कद्दू .... 🤣🤣🤣🤣🤣
मित्रों,
प्रभु के आशीर्वाद से सब कुछ देख चुका हूं। तारीफें, बुराइयां, छल, कपट, इश्क़, धोखा, अमीरी ,गरीबी और अब उस पड़ाव पर हूं कि दिन भर भी ट्वीटर पर रहूं तो मुझे और मेरे जीवन पर रत्ती भर फर्क नहीं पड़ेगा।
महादेव की बहुत कृपा है मेरे पर..

पर आप ?
कैरियर ?
परिवार?
बच्चे?
मां बाप?
आपका अगर ये २ घंटे से ज़्यादा है तो .....

ईश्वर आपको सन्मति से..

फिर कभी मिलेंगे इसी श्रृंखला में किसी नए #ज्ञान के साथ 🤣
https://twitter.com/ShuklaAnchal_/status/1222209286891175936?s=09
आप से फिर एक वही पुराना सवाल, खास उन लोगों से जो आगे जाकर इस महान देश की संस्कृति को संजो कर रखने वाले हैं।

नवयुवक, नवयुवतियां, छात्र, छात्राएं..

आप क्यूं है सोशल मीडिया के इस माध्यम पर ?
बाकी चर्चा पोल के बाद
https://twitter.com/iAsura_/status/1267519433792090112?s=19
सोशल मीडिया आपको, आपसे छीन लेता है। आप के अंदर हर एक "फॉलोअर" के साथ घमंड बढ़ जाता है और फिर आप जिनको भैया, सर, गुरु, पिता स्वरूप मानते थे उनके बारे में अनर्गल प्रलाप करने लगते हैं।

आप अपने को "महान" समझने लगते है।
चने का झाड़ मुस्कुरा कर आपका ऊपर आने का इंतजार कर रहा होता है।
आप भूल जाते हैं इस माध्यम का "थंब रूल" कि यहां सबको बड़ा बनना है।
आप भूल जाते हैं कि आप बाल्टी के केकड़े है।
आप भूल जाते हैं कि ईर्ष्या मनुष्य के स्वभाव से जा नहीं सकती।
आप भूल जाते हैं कि आपकी सो काल्ड "उन्नति" यहीं "आपके दोस्तों" को रोज़ दिखती है।

आप भूल जाते हैं....
आप सिर्फ एक हैंडल हैं यहां, सिर्फ एक हैंडल जो जैक बाबू के कब्जे में हैं।

वो चाहें तो आपको जहां के जाएं और चाहे तो आपको सड़क से उतार कर एक कोने में बिठा दें।

दूसरों के रहमो कर्म पर जी कर अगर आप अपने को मठाधीश समझते है तो आप सही रास्ते पर हैं।

आप की दुर्दशा तो तय है 🤣
आप के जैसे भी फॉलोअर बड़े, आपके मुखोटे गिरने लगते हैं।आपकी की गई ट्वीट से आपकी जियोग्राफी तो पता चल ही जाती है, साथ में हिस्ट्री भी।

कुछ शब्द अच्छे लिखने से कोई प्रेमचंद से तुलना करने लगे तो आप तुरंत ब्लॉक कर दीजिए, अगर आपको कुछ सीखना है तो...

वरना, दिल को बहलाने को गालिब...
यहां की गई तारीफ से अगर आप अपने को लेखिका, लेखक, कवि, कवियत्री आदि इत्यादि समझने लगे हैं तो किसी "असली" संपादक को अपनी रचना भेजिए।

जवाब तक नहीं आएगा..

यहां कुछ नहीं रखा बच्चों, ये सब मिलकर तुम्हारा ......

#शुभरात्रि
https://twitter.com/Shrimaan/status/1255178599226724357?s=19
आपको भी अगर इन सब चक्करों में फंसना है तो आप भी सरकार को गारिया सकते है।
आपका एक गोल होना चाहिए,अगर राजनीति में जाना है ये तो सही रास्ता है किन्तु अगर आप ट्विटर पर सिर्फ धींगा मस्ती के लिए हैं तो सरकार से पंगा नहीं लीजिए।

सीख नौजवानों के लिए है जिनका कैरियर अभी शुरू नहीं हुआ है।
वाह भाई...
गजब....
कस के पेला है..
क्या बात है....
छाए हुए हो हर जगह....
जय चैनल पर तुम्हारा नाम है भाई..
प्रभु....
तुसी ग्रेट हो..

सही बजाया साले/साली को

जिस ट्वीट के जवाब में आपको ये सुनने को मिले, उस ट्वीट को तुरंत डिलीट कर दीजिए।
फॉलोअर्स गिफ्ट करने का ऑप्शन, लाइक और आर टी डोनेट करने करने का ऑप्शन आने वाला है मित्रों फिर शायद आप लोग चैन से सो सकते हैं।

कल मेरे फलाना फॉलोअर्स थे आजदेखो ट्विटर ने ढिकाना कर दिए।
सुबह उठते ही अगर आप अपने फॉलोअर्स चेक करते हैं तो आप की भक्ति, शक्ति, देश भक्ति सब खोखली है। 😂
और फिर ये भी याद रखियेगा। https://twitter.com/Shrimaan/status/1255178599226724357?s=19
आप अगर इसको वाह प्लेटफॉर्म मानते हैं कि आप अपने प्रोडक्ट को बेच पाएंगे तो आप बहुत बड़ी गलत फहमी में हैं।

फिलहाल आपको ये भी बताता चलूं कि मेरे जितने भी मित्र हैं यहां उनमें से १ प्रतिशत लोगों ने मेरी किताब नहीं खरीदी है।
है ना मज़ेदार आंकड़ा ?? 😂😂
बाकी मेरे पाठक ट्विटर पर नहीं हैं।
ट्विटर पर ही तो लिख रहा हूं ये सब ना ?

तो भाई मै ट्वीटर की बुराई नहीं कर रहा , बस आपको बता रहा हूं कि आप फंस चुके हैं।
आप कब लाइक और रीट्वीट के चक्कर में ट्रॉल बनकर अपनी काबिलियत खो बैठे आपको पता नहीं चला।
तो मैं क्यूं हूं यहां ??

वही जवाब है..
मेरे पास जब फालतू समय होता है आजाता हूं।

मेरे लोगों के अब फोन नंबर मेरे पास हैं तो उनसे बात करने के लिए इस प्लेटफॉर्म की जरूरत नहीं है।

आप गिनते रहिए अपने फॉलोअर्स, मेरे दोस्त मेरे ज़्यादा अज़ीज़ हैं और वो सब मेरे दिल के करीब है।

😋😋
लगता है ये ट्वीट शृंखला सालों तक ऐसे ही चलने वाली हैं।
आज भी कुछ लोग
#IStandWithSameet करेंगे।
कहां स्टैंड भाई ?
वो अंदर है और आप यहां ट्विटर पर हो।
हां इतना जरूर है कि उनके बाहर आने पाएं आप अपनी इस ट्वीट का स्क्रीन शॉट उनको भेज कर आरटी करवा लेना।

#IStandWithArnab वालों को ये पता है कि अर्णब को इस ट्रेंड से कोई फर्क नहीं पड़ता।
You can follow @Shrimaan.
Tip: mention @twtextapp on a Twitter thread with the keyword “unroll” to get a link to it.

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