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Ms. Nair
AyeDhanno
कभी मोम बन के पिघल गया कभी गिरते गिरते सँभल गया,वो बन के लम्हा गुरेज़ का मेरे पास से निकल गया.. उसे रोकता भी तो किस तरह से वो शख़्स
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