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आज कल हर जगह राहु एक्टिव हम लोगो ने कर रखा है फिर परेशान रहते की चीज़ें सही नही चलती जीवन मे, दिमाग सही निर्णय नही ले पाता, क्या करे क्या ना करे समझ नही आता, सेहत सही नही रहती बीमारी पीछा नही छोड़ती या काम बनते नही।
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आज कल हर जगह राहु एक्टिव हम लोगो ने कर रखा है फिर परेशान रहते की चीज़ें सही नही चलती जीवन मे, दिमाग सही निर्णय नही ले पाता, क्या करे क्या ना करे समझ नही आता, सेहत सही नही रहती बीमारी पीछा नही छोड़ती या काम बनते नही।
ग्रह क्या करे वो तो अपने सव्भाव के अनुसार फल देगा ही।
जैसे:
◆ पहेले झूठे बर्तन घर की रसोई से बाहर रहते थे अब भीतर ही, तो झूठन तो हटा सकते हैं।
◆ टॉयलेट घर से बाहर होते थे, या कमरों ओर किचन से लगे नही, toilet combined भी कम मिलते थे,
जैसे:
◆ पहेले झूठे बर्तन घर की रसोई से बाहर रहते थे अब भीतर ही, तो झूठन तो हटा सकते हैं।
◆ टॉयलेट घर से बाहर होते थे, या कमरों ओर किचन से लगे नही, toilet combined भी कम मिलते थे,
पर अब सब घरों में ही हैं, तो टॉयलेट में phone, newspaper लेके मत जाया करो, टाइल्स/ पेंट आदि के रंग भी देख के कराए। टॉइलेट घंटो बिताने की जगह नही, पहेले इंडियन सिस्टम था लोग अब वेस्टर्न सिस्टम पसंद करे हैं जो काम 5 min में निपट जाए वो 20 min लगा देते हैं।
◆ बेडरूम को शयन कक्ष बोला जाता था, जहाँ इंसान आराम कर सके, सुकून मिले उसकी दिन भर की थकान दूर हो, जहां वो अपने spouse के साथ समय बिता सकेे, पर आज तो tv, music system, electronics भी सब बेडरूम में ही है, सब कुछ बिस्तर से शुरू हो कि बिस्तर पर खत्म होता है ,
सुकून छोड़ के सब मिलता हैं अब के शयन कक्ष में।
ऐसे बहुत से उद्धरण हैं जहां हम ने राहु खुद से घरों और जीवन मे एक्टिव किया है फिर हम उपाय और महंगे ज्योतिष आचार्य के पास दर ब दर भागते हैं। कुंडली के ग्रह तो सब के बस के नही पर घर को तो हम सही कर ही सकते हैं ।
ऐसे बहुत से उद्धरण हैं जहां हम ने राहु खुद से घरों और जीवन मे एक्टिव किया है फिर हम उपाय और महंगे ज्योतिष आचार्य के पास दर ब दर भागते हैं। कुंडली के ग्रह तो सब के बस के नही पर घर को तो हम सही कर ही सकते हैं ।
जब राहु हर तरह से हावी रखेंगे तो प्रभाव भी मिलेंगे ही। राहु घर से बाहर की चीज़ है।
हमारे बचपन मे गुरु ,सूर्य ,चंद्र का प्रभाव बहुत था, पर आज के दौर में सिर्फ राहु शुक्र ही हैं ।
हर ग्रह अपने सीमा छेत्र में ही अच्छा रहता हैं। उन्हें उनकी सीमाओं तक ही रहने दें।
हमारे बचपन मे गुरु ,सूर्य ,चंद्र का प्रभाव बहुत था, पर आज के दौर में सिर्फ राहु शुक्र ही हैं ।
हर ग्रह अपने सीमा छेत्र में ही अच्छा रहता हैं। उन्हें उनकी सीमाओं तक ही रहने दें।
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