आज तब्लीगी जमात की याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई की. भारत के प्रधान न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे , न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने स्पष्ट कहा कि & #39;हाल में बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का जमकर गलत इस्तेमाल हुआ.& #39;
आप भारत के प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ की टिप्पणी को कैसे देख पा रहे हैं या कैसे देखना चाहते हैं, यह मैं नहीं जानता लेकिन आने वाला समय भारतीय मीडिया के बहुत भयावह होने वाला है.
सरकार हर ओर कहती है कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की पक्षधर है. कोर्ट में भी सरकार ने यही कहा लेकिन जो हलफनामा दायर हुआ, वह सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव की जगह एक अतिरिक्त सचिव के हवाले से किया गया. अदालत, सरकार के इस रुख से भी नाराज दिखी.
आप खुद सोच लें सरकार
& #39;अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता& #39; को लेकर कितनी गंभीर है. अदालत ने स्पष्ट किया है कि वह तब्लीगी जमात पर की गई रिपोर्टिंग्स को लेकर की गई कार्रवाई के बारे में सरकार अवगत कराए.
& #39;अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता& #39; को लेकर कितनी गंभीर है. अदालत ने स्पष्ट किया है कि वह तब्लीगी जमात पर की गई रिपोर्टिंग्स को लेकर की गई कार्रवाई के बारे में सरकार अवगत कराए.
बीते दिनों में जितनी अतिशयता हुई है, वह मीडिया के गले की फांस बन जाएगा. और सिर्फ मीडिया नहीं इससे बुरी तरह जकड़ा जाएगा डिजिटल मीडिया. जकड़ा ना भी जाए तो ऐसे कटीले तार खींच दिए जाएंगे जिनको छूने भर से खून निकल सकता है.
आप चाहे खुद को कंटेंट राइटर मानें, चाहे पत्रकार, यह सबके लिए भयावह होने वाला है. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां और मीडिया की अतिशयता, सरकार को कठोर से कठोर कानून बनाने में मदद करेंगी और जनता आपके साथ नहीं होगी.
अब वह जमाना गया जब कोई सरकार, प्रेस बिल लाए तो उसके विरोध में पत्रकारों को जनता का भी साथ मिले.
Read on Twitter