काशिफ़ भाई आपकी बाते पढ़कर लगता हैं की सच तो जाना लिया जाए आखिर माज़रा हैं क्या?
कोई सूरत निकल आये की उस पक्ष को भी हम सभी पढ़ सकते..!?
यार भाव काहे खाते ही इतना !
कोई बात नही!
नाराज़गी की क्या बात है ?
ठीक है।
अल्लाह आपको ख़ुश रखे।
आमीन
आप वैसे गालियां सभी को दे सकते हो मगर
कोई सूरत निकल आये की उस पक्ष को भी हम सभी पढ़ सकते..!?
यार भाव काहे खाते ही इतना !
कोई बात नही!
नाराज़गी की क्या बात है ?
ठीक है।
अल्लाह आपको ख़ुश रखे।
आमीन
आप वैसे गालियां सभी को दे सकते हो मगर
समझाते नही!
रहबर को वक़्त की कुर्बानी देना व लेना दोनो ही हुनर और हिम्मत उनमे चाहिए!
बता देता हूं आज काशिफ़ साहब को सवाल पूछ लिया क्या सवाल था वह भी ऊपर के पैरों में लिखा है।
मगर एक सवाल से इतनी तल्ख मिज़ाजी!!
इतनी!!
जबकि आप साहेबान परख रहे होंगे दिन भर एक ही मोजू
रहबर को वक़्त की कुर्बानी देना व लेना दोनो ही हुनर और हिम्मत उनमे चाहिए!
बता देता हूं आज काशिफ़ साहब को सवाल पूछ लिया क्या सवाल था वह भी ऊपर के पैरों में लिखा है।
मगर एक सवाल से इतनी तल्ख मिज़ाजी!!
इतनी!!
जबकि आप साहेबान परख रहे होंगे दिन भर एक ही मोजू
एक ही मुद्दा मुसलमान वोट!?
क्यों दोस्तों हमने किसी सियाशी दल (दल)की गुलामी की है राजस्थान में आज चुनाव नही..
कल होंगे!तो क्या ये #जुतमपेली यूँही करेंगे?जैसे बिहार के मुस्लिम वोटर के लिए कर रहे हैं।दोस्तो लिखने को पूरी किताब लिखी जा सकती हैं। #राजनीति_में_भागीदारी मुस्लिम भी
क्यों दोस्तों हमने किसी सियाशी दल (दल)की गुलामी की है राजस्थान में आज चुनाव नही..
कल होंगे!तो क्या ये #जुतमपेली यूँही करेंगे?जैसे बिहार के मुस्लिम वोटर के लिए कर रहे हैं।दोस्तो लिखने को पूरी किताब लिखी जा सकती हैं। #राजनीति_में_भागीदारी मुस्लिम भी
जरूर होनी चाहिये मग़र किसी को बेइज्जत करके किसीको चने के झाड़ पर चढ़ा कर नही!ईमानदार ख़ुदार क़लम चलाओ न कि..
राजनीति करने हेतु ईशु ढूंढे।
इस तरह तो बन गए आप दाना ओ रहबर ऐ माशरा।बहुत पेशन्स रखे दिमाग ठंडा रखे हिम्मत से क़लम थामे।हमारी क़लम का खुद्दार होना भी लाज़मी हैं
राजनीति करने हेतु ईशु ढूंढे।
इस तरह तो बन गए आप दाना ओ रहबर ऐ माशरा।बहुत पेशन्स रखे दिमाग ठंडा रखे हिम्मत से क़लम थामे।हमारी क़लम का खुद्दार होना भी लाज़मी हैं
वरना अर्थ के अनर्थ निकलते देर नही लगती।हाथ जोड़कर कहता हूं इस आलेख को सकारात्मक सोच से पढ़े..
कोई एतराज है तो लिखे रद्दे अमल दे। पर नेगेटिविटी से परे रहे तो ही कमाल हैं।वरना धमाल तो हम सभी करते हैं। दिन भर दना दन लिखते हैं।मगर काम का कितना लिखते हैं।
कोई एतराज है तो लिखे रद्दे अमल दे। पर नेगेटिविटी से परे रहे तो ही कमाल हैं।वरना धमाल तो हम सभी करते हैं। दिन भर दना दन लिखते हैं।मगर काम का कितना लिखते हैं।
ऊपर लिखे पूरे थ्रेड को पढ़े महरबानी होगी।मक़सद इतना ही कि वोट की राजनीति मुस्लिम समाज की इमेज खराब करके कोई करे वो गैरतमंद इंसान कैसे बर्दास्त करे।
व सलाम
@ProfNoorul @WasiuddinSiddi1 @jahanphy @AIMIMZuberMemon @007AliSohrab @Nagrik18 @007Aadilsheikh @JavedAl_ko @MDUSMANAZAD4
व सलाम
@ProfNoorul @WasiuddinSiddi1 @jahanphy @AIMIMZuberMemon @007AliSohrab @Nagrik18 @007Aadilsheikh @JavedAl_ko @MDUSMANAZAD4
Read on Twitter