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इस त्रासदी के समय जंगल और प्रकृति की बात कौन करे?
लेकिन हमारी सरकार इसी त्रासदी का फायदा उठाकर पर्यावरण खत्म करने और अपने कॉरपोरेट दोस्तों को खुश करने में लगी है।
क्या आपको पता है अरुणाचल प्रदेश के दिबांग घाटी में 2 लाख सत्तर हजार पेड़ काटे जाने की तैयारी हो रही है?
                                                                    
                                    
                                    
                                                                    
                                    
                                                                        
                                    
                                                                    
                                    
                                    
                                                            
                            
                                                
                    
                    
                                    
                    इस त्रासदी के समय जंगल और प्रकृति की बात कौन करे?
लेकिन हमारी सरकार इसी त्रासदी का फायदा उठाकर पर्यावरण खत्म करने और अपने कॉरपोरेट दोस्तों को खुश करने में लगी है।
क्या आपको पता है अरुणाचल प्रदेश के दिबांग घाटी में 2 लाख सत्तर हजार पेड़ काटे जाने की तैयारी हो रही है?
                        
                        
                        अरुणाचल प्रदेश अपने ट्रोपिकल फॉरेस्ट कवर के लिये जाना जाता है।
पर्यावरण मंत्रालय की एक सब कमिटी ने दिबांग वैली में हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के लिये विडियो कॉन्फ्रेंस के जीरये पर्यावरण की मंजूरी दे दी है।
#SaveDibangValley
                    
                                    
                    पर्यावरण मंत्रालय की एक सब कमिटी ने दिबांग वैली में हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के लिये विडियो कॉन्फ्रेंस के जीरये पर्यावरण की मंजूरी दे दी है।
#SaveDibangValley
                        
                        
                        इस तरह की मंजूरी दिलाने वाली एजेंसी के साथ काम करने वाले एक दोस्त ने बताया जिस तरह के बड़े नक्शे और दूसरी जरुरी प्रक्रियाओं को मंजूरी के लिये पूरा किया जाना जरुरी है, वो विडियो कॉन्फ्रेंस के जरीये पूरी करना लगभग नामुमकिन बात है।
                        
                        
                        
                        
                                                
                    
                    
                                    
                    
                        
                        
                        इस प्रोजेक्ट से करीब 1150 हेक्टेयर वन भूमि खत्म हो जायेगी।
देबांग वैली हिमालय के सबसे जैव विविधता यानि की बायोडायवर्स इलाके में से एक है। यह सिर्फ पेड़ों के कटने का मामला नहीं है। जंगल से जुड़ा पूरा वन जीवन और नदी सबके खत्म होे जाने का भी मामला है।
                    
                                    
                    देबांग वैली हिमालय के सबसे जैव विविधता यानि की बायोडायवर्स इलाके में से एक है। यह सिर्फ पेड़ों के कटने का मामला नहीं है। जंगल से जुड़ा पूरा वन जीवन और नदी सबके खत्म होे जाने का भी मामला है।
                        
                        
                        वाईल्डलाईफ इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया के एक स्टडी के अनुसार इस इलाके में 413 पौधों, 159 तितलियों, 113 स्पाडर, 230 चिड़ियों, 31 सांप और 21 स्तनधारी प्रजाति रहते हैं। यह सब खत्म हो जायेंगे।
                        
                        
                        
                        
                                                
                    
                    
                                    
                    
                        
                        
                        सिर्फ जंगल और वाईल्डलाईफ ही नहीं बल्कि अठारह गांवों में रहने वाले करीब चौदह हजार स्थानीय आदिवासी समुदाय भी इससे बुरी तरह प्रभावित होने वाले हैं।
यह इलाका भूंकप के लिहाज से भी काफी संवेदनशील माना जाता है, अगर यहां डैम बनाया जाता है तो इलाके में भूंकप का खतरा भी बढ़ जायेगा।
                    
                                    
                    यह इलाका भूंकप के लिहाज से भी काफी संवेदनशील माना जाता है, अगर यहां डैम बनाया जाता है तो इलाके में भूंकप का खतरा भी बढ़ जायेगा।
                        
                        
                        मछुआरा समुदाय से लेकर आम किसान तक तबाह हो जायेंगे।
लेकिन
हमारी सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता,
न जलवायु परिवर्तन के डर से और ना ही स्थानीय लोगों के जीवन से।
शहरी मीडिल क्लास भी अमेजन जंगल में लगी आग पर दुख जता कर अपनी प्रकृति बचाने की जिम्मेदारी पूरी कर लेता है..
                    
                                    
                    
                    
                
                लेकिन
हमारी सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता,
न जलवायु परिवर्तन के डर से और ना ही स्थानीय लोगों के जीवन से।
शहरी मीडिल क्लास भी अमेजन जंगल में लगी आग पर दुख जता कर अपनी प्रकृति बचाने की जिम्मेदारी पूरी कर लेता है..
                        
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इस त्रासदी के समय जंगल और प्रकृति की बात कौन करे?लेकिन हमारी सरकार इसी त्रासदी का फायदा उठाकर पर्यावरण खत्म करने और अपने कॉरपोरेट दोस्तों को खुश करने में लगी है।क्या आपको पता है अरुणाचल प्रदेश के दिबांग घाटी में 2 लाख सत्तर हजार पेड़ काटे जाने की तैयारी हो रही है?" title="Thread https://abs.twimg.com/emoji/v2/... draggable="false" alt="👇" title="Down pointing backhand index" aria-label="Emoji: Down pointing backhand index">इस त्रासदी के समय जंगल और प्रकृति की बात कौन करे?लेकिन हमारी सरकार इसी त्रासदी का फायदा उठाकर पर्यावरण खत्म करने और अपने कॉरपोरेट दोस्तों को खुश करने में लगी है।क्या आपको पता है अरुणाचल प्रदेश के दिबांग घाटी में 2 लाख सत्तर हजार पेड़ काटे जाने की तैयारी हो रही है?">
                                        
इस त्रासदी के समय जंगल और प्रकृति की बात कौन करे?लेकिन हमारी सरकार इसी त्रासदी का फायदा उठाकर पर्यावरण खत्म करने और अपने कॉरपोरेट दोस्तों को खुश करने में लगी है।क्या आपको पता है अरुणाचल प्रदेश के दिबांग घाटी में 2 लाख सत्तर हजार पेड़ काटे जाने की तैयारी हो रही है?" title="Thread https://abs.twimg.com/emoji/v2/... draggable="false" alt="👇" title="Down pointing backhand index" aria-label="Emoji: Down pointing backhand index">इस त्रासदी के समय जंगल और प्रकृति की बात कौन करे?लेकिन हमारी सरकार इसी त्रासदी का फायदा उठाकर पर्यावरण खत्म करने और अपने कॉरपोरेट दोस्तों को खुश करने में लगी है।क्या आपको पता है अरुणाचल प्रदेश के दिबांग घाटी में 2 लाख सत्तर हजार पेड़ काटे जाने की तैयारी हो रही है?">
                                        
इस त्रासदी के समय जंगल और प्रकृति की बात कौन करे?लेकिन हमारी सरकार इसी त्रासदी का फायदा उठाकर पर्यावरण खत्म करने और अपने कॉरपोरेट दोस्तों को खुश करने में लगी है।क्या आपको पता है अरुणाचल प्रदेश के दिबांग घाटी में 2 लाख सत्तर हजार पेड़ काटे जाने की तैयारी हो रही है?" title="Thread https://abs.twimg.com/emoji/v2/... draggable="false" alt="👇" title="Down pointing backhand index" aria-label="Emoji: Down pointing backhand index">इस त्रासदी के समय जंगल और प्रकृति की बात कौन करे?लेकिन हमारी सरकार इसी त्रासदी का फायदा उठाकर पर्यावरण खत्म करने और अपने कॉरपोरेट दोस्तों को खुश करने में लगी है।क्या आपको पता है अरुणाचल प्रदेश के दिबांग घाटी में 2 लाख सत्तर हजार पेड़ काटे जाने की तैयारी हो रही है?">